राहत इंदौरी ने 11 अगस्त 2020 की शाम को दुनिया से हमेशा के लिए विदा ले ली। उनका जन्म 1 जनवरी 1950 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था। उनकी रचनाएं देश में ही नहीं विदेश में भी अपनी छाप छोड़ चुकी हैं। कुछ ऐसी रचनाएं हैं जो हमेशा के लिए अमर हो गई हैं।
वैसे तो उनकी सभी रचनाएं अमिट छाप छोड़ चुकी हैं लेकिन हम उनमें से कुछ आपके लिए खोज के लाए हैं।
1.’शाखों से टूट जाएं वो पत्ते नहीं हैं हम,
आंधी से कोई कह दे कि औकात में रहे।’
2. आँख में पानी रखो, होठों पे चिंगारी रखो।
जिंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो।।
3. एक ही नदी के हैं ये दो किनारे,
दोस्ताना जिंदगी से मौत से यारी रखो।
4. जा के ये कह दो कोई शोलों से, चिंगारी से,
फूल इस बार खिले हैं बड़ी तैयारी से।
बादशाहों से भी फेंके हुए सिक्के न लिए,
हमने खैरियत भी मांगी है तो खुद्दारी से।।
5. मजा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को,
समझ रही थी कि ऐसे ही छोड़ दूंगा।
6. उस की याद आई है, साँसों ज़रा आहिस्ता चलो,
धड़कन से भी इबादत में खलल पड़ता है।
7. न हमसफर न किसी हम नशीं से निकलेगा,
हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा।
8. छू गया जब कभी खयाल तेरा,
दिल मेरा देर तक धड़कता रहा।
कल तेरा ज़िक्र छिड़ गया था घर में,
और घर देर तक महकता रहा।।
9. लगेगी आग तो आएंगे कई घर ज़द में,
यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है।
सभी का खून शामिल है यहां की मिट्टी में,
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है।।
10. दो गज़ सही ये मेरी मिल्कियत तो है,
अये मौत तूने मुझे ज़मींदार कर दिया।
राहत इंदौरी कभी चित्रकार हुआ करते थे। शायरी की दुनिया से पहले वह एक चित्रकार और उर्दू के प्रोफेसर थे। इंदौरी साहब ने कई फिल्मों में गीत भी लिखे हैं।
उनकी मौत पर देशभर की बड़ी हस्तियों ने शोक व्यक्त किया। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ-साथ राहुल गांधी, प्रियंका गांधी ने ट्वीट करके दुःख जताया।