BY – FIRE TIMES TEAM
पीएम केयर फन्ड जब से बना तभी से विवादों के केन्द्र में रहा है। विपक्ष के अलावां तमाम नेताओं के द्वारा इस फन्ड में जमा हो रही राशि को सार्वजनिक करने की मांग की जाती रही है, कि इस पैसे को कैसे, कब और कहां खर्च किया जा रहा है।
लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय (पाएमओ) ने आरटीआई अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी को साझा करने से मना कर दिया, कारण बताया गया कि पीएम केयर फन्ड सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है।
इसी क्रम में एलएलएम की एक छात्रा हर्षा कुंदकुरी ने 1 अप्रैल को एक आरटीआई दायर किया था, जिसमें प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और प्रधानमंत्री राहत कोष (पीएम केयर्स फन्ड) के गठन और कार्यप्रणाली की सभी जानकारी मांगी गई थी।
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लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार 29 मई को पीएमओ के लोक सूचना अधिकारी ने आवेदन के निपटान में कहा कि, “आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 2 (एच) के दायरे में पीएम केयर्स फन्ड एक सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है। हालांकि पीएम केयर्स फन्ड के विषय में प्रासंगिक जानकारी बेबसाइट pmcares.gov.in पर देखी जा सकती है।”
इससे पहले भी 27 अप्रैल को एक आरटीआई आवेदक विक्रांत तोगड़ को भी पीएमओ ने पीएम केयर्स फन्ड से सम्बन्धित जानकारी देने से मना कर दिया था। उन्होंने इस कोष में जमा राशि की जानकारी मांगी थी।
हर्षा कुंदकुरी के अनुसार यदि यह सरकारी अथॉरिटी नहीं है तो जाहिर है कि यह सरकार के द्वारा नियंत्रित भी नहीं किया जा रहा है। सरकार इस कोष को और भी गोपनीय बना रही है। इस तरह तो इसमें भ्रष्टाचार को फलने-फूलने का भी मौका मिलेगा। ट्रस्ट का नाम, रचना, नियंत्रण, प्रतीक का उपयोग और सरकारी डोमेन इसे सार्वजनिक प्राधिकरण की तरह ही दर्शाता है।
हर्षा ने पीएमओ के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में भी जाने की बात कही।
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