BY- FIRE TIMES TEAM
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक बलात्कार के आरोपी को अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि शायद ही कोई महिला होगी जो अपने साथ हुए यौन अपराध के बाद सो जाए।
कोर्ट ने महिला की शिकायत पर संदेह जताते हुए कहा कि परिस्थितियों को देखते हुए उसके लिए यह विश्वास करना कठिन हो रहा है कि शादी का झूठा वादा करके शिकायतकर्ता के साथ बलात्कार किया गया है।
इसके अलावा कोर्ट ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि महिला आरोपी के यहां दो साल से उसकी कर्मचारी के रूप में कार्य कर रही थी।
न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित की अगुवाई वाली एकल न्यायाधीश पीठ ने मामले के शिकायतकर्ता के संस्करण के बारे में विचार व्यक्त किया और सोमवार को आदेश पारित किया।
दीक्षित ने कहा, “शिकायतकर्ता द्वारा यह स्पष्टीकरण दिया गया कि उसके साथ हुई यौन हिंसा के बाद वह थक गई थी इसलिए वो सो गई; यह भारतीय महिला के संस्कार नहीं हैं, हमारी महिलाएं इस तरह व्यवहार नहीं करती हैं जब उनके साथ हिंसा होती है।”
उन्होंने यह भी सवाल किया कि शिकायतकर्ता ने जब आरोपी उसकी कार में आके बैठा तब कोई शोर क्यों नहीं किया, उसके साथ शराब पीने में कोई आपत्ति क्यों नहीं जताई और शुरुआत में ही कोई विरोध क्यों नहीं किया।
दीक्षित ने कहा, “शिकायकर्ता ने ऐसा कुछ जिक्र नहीं किया कि वह रात 11 बजे ऑफिस क्यों गई, उसने याचिकाकर्ता के साथ शराब पीने पर ऐतराज क्यों नहीं किया और उसने उसे सुबह तक अपने साथ क्यों रुकने दिया।”
अदालत को आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं देने में कोई आधार नजर नहीं आया क्योंकि पीड़िता ने तब याचिकाकर्ता के बारे में पुलिस या लोगों को सतर्क नहीं किया जब वह रात्रिभोज के लिए होटल गई थी एवं आरोपी शरीब पीने के बाद कार में आकर बैठ गया था।
इस बीच, राज्य के वकील ने जमानत याचिका का जोरदार विरोध किया, यह कहते हुए कि आरोपियों के खिलाफ आरोप प्रकृति में काफी गंभीर हैं और अगर ऐसे अपराधियों को अग्रिम जमानत दी जाती है तो यह समाज के लिए असुरक्षित है।
न्यायाधीश ने हालांकि कहा कि अपराध की “गंभीर प्रकृति” अकेले नागरिक को स्वतंत्रता से वंचित करने की कसौटी नहीं हो सकती है, खासकर तब जब राज्य पुलिस द्वारा कोई “प्रथम दृष्टया” मामला नहीं बनाया गया हो।
दीक्षित ने कहा, ”शिकायतकर्ता के उस बयान का, जो मामले की दी गई परिस्थितियों में शादी के झूठे वादे पर बलात्कार के अधीन था, इस स्तर पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल है।”
उन्होंने शिकायतकर्ता से पहले अदालत में संपर्क नहीं करने के लिए सवाल किया जब आरोपी ने शुरुआत में कथित रूप से “उसे यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया”।
अदालत ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण कैदियों को भी खतरा है और 1 लाख रुपये के निजी मुचलके पर आरोपी को गिरफ्तारी से पहले जमानत दे दी।
आरोपी को कहा गया है कि वह न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को न छोड़े और प्रत्येक शनिवार को न्यायिक पुलिस स्टेशन के समक्ष उसकी उपस्थिति को दर्ज करे।