लखीमपुर: हादसा नहीं बल्कि एक सोची समझी साजिश के तहत हुई थी किसानों की हत्या: एसआईटी

BY- FIRE TIMES TEAM

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा की घटना जिसमें चार किसानों और एक स्थानीय पत्रकार सहित आठ लोगों की जान चली गई थी। इस घटना के लगभग ढाई महीने बाद एएसआईटी अपनी रिपोर्ट में कई खुलासे किए हैं। जांच में यह पाया गया कि घटना ‘पूर्व नियोजित’ थी और यह किसी लापरवाही और दुर्घटना का नतीजा नहीं था।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा व 13 अन्य लोगों को लखीमपुर कांड में मुख्य आरोपी बनाया गया है।

इसके अलावा, एसआईटी ने मामले के सभी 14 आरोपियों के खिलाफ हत्या के प्रयास और अन्य आरोपों से संबंधित आईपीसी की कई धाराओं को जोड़ने की भी मांग की है। एसआईटी ने धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 326 (खतरनाक हथियारों या साधनों से स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुँचाना) और 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) को जोड़ा है।

मंगलवार को आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया। लखीमपुर खीरी के वरिष्ठ लोक अधिवक्ता एसपी यादव ने कहा कि एसआईटी ने अदालत से अनुरोध किया कि सभी 13 आरोपियों के ऊपर हत्या और आपराधिक साजिश के अलावा आईपीसी की धारा 307, 326, 34, आर्म्स एक्ट की धारा 3, 25 और 30 के भी आरोप लगाए जाएं। कोर्ट को अभी एसआईटी की अर्जी पर फैसला करना है।

एसआईटी ने अदालत से आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की तीन धाराओं को हटाने का भी आग्रह किया, जिसमें 279 (तेज ड्राइविंग के लिए), 338 (दूसरों की जान या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कृत्यों से गंभीर चोट पहुंचाना) और 304 ए (लापरवाही से मौत) शामिल हैं।

एसआईटी के मुख्य जांच अधिकारी (आईओ) विद्याराम दिवाकर ने अदालत में जांच रिपोर्ट पेश की और दावा किया कि यह लापरवाही से गाड़ी चलाते समय आकस्मिक मौत का मामला नहीं है। रिपोर्ट में आईओ ने कहा, “यह एक सोची समझी साजिश के तहत भीड़ को कुचलने की साजिश, हत्या और हत्या के प्रयास का मामला है।”

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले का संज्ञान लिया था और विशेष जांच दल को जांच तेजी से पूरी करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना की जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया था।

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने तीन आईपीएस अधिकारियों एसबी शिराडकर, पद्मजा चौहान और प्रीतिंदर सिंह को शामिल करके मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) को अपग्रेड किया था, जो सभी यूपी कैडर से संबंधित नहीं हैं।

बता दें कि 3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी में तिकुनिया पुलिस स्टेशन के क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों की भीड़ पर कथित रूप से आशीष मिश्रा द्वारा चलाई जा रही एक एसयूवी महिंद्रा थार द्वारा चार किसानों को कुचल दिया गया था। किसान यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्य की निर्धारित यात्रा का विरोध कर रहे थे और अजय मिश्रा टेनी ने भी एक कार्यक्रम आयोजित किया था जिसमें डिप्टी सीएम मौर्य को आमंत्रित किया गया था।

चार किसानों की मौत के बाद, उग्र भीड़ ने दो भाजपा कार्यकर्ताओं और अजय मिश्रा के एक चालक को पकड़ लिया और उन्हें मौके पर ही मार डाला था।

नतीजतन, आशीष मिश्रा के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। आशीष मिश्रा सहित उसके साथियों लवकुश, आशीष पांडे, अंकित दास, शेखर भारती, काले और सुमित जायसवाल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। सभी आरोपियों को जेल भेज दिया गया था। तब से दोनों सत्र और इलाहाबाद उच्च न्यायालय आरोपियों को जमानत देने से इनकार करते रहे हैं।

इस घटना ने राजनीतिक दलों और किसानों में राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के इस्तीफे की मांग को लेकर पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया था। 2022 की आगामी चुनावी लड़ाई के मद्देनजर, जांच रिपोर्ट मिश्रा के संकट को बढ़ा सकती है क्योंकि विपक्ष ने मिश्रा को बर्खास्त करने की अपनी मांग को मुखर रूप से दोहराया है।

हालांकि एसआईटी रिपोर्ट जमा करने के बाद अजय मिश्रा ने मंगलवार को अपने बेटे से जेल में मुलाकात की। इस बीच, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव जैसे विपक्षी नेताओं ने सरकार से मांग की है कि मिश्रा को केंद्रीय मंत्रिमंडल में अपना पद त्यागना चाहिए क्योंकि हिंसा में उनके बेटे की संलिप्तता साबित हो चुकी है।

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