BY- FIRE TIMES TEAM
राज्य की राजधानी लखनऊ से 123 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के कन्नौज शहर से सामने आए बेहद परेशान करने वाले दृश्य सामने आए जिसमें एक सरकारी अस्पताल परिसर के अंदर युवा माता-पिता अपने एक साल के मृत बच्चे के शरीर से लिपटे हुए रो रहे हैं।
दंपति ने बुखार और सूजी हुई गर्दन के साथ बच्चे को अस्पताल पहुंचाया था, लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने उनके बेटे को छूने से इनकार कर दिया, इसके बजाय उनसे अपने बच्चे को लगभग 90 किलोमीटर दूर कानपुर ले जाने के लिए कहा गया, जहाँ बड़े और बच्चों के लिए वशेष सरकारी अस्पताल हैं।
रविवार रात को इलाज के लिए जिला अस्पताल लाए जाने के बाद पिता को अपने बेटे के शव से लिपटते देखा गया, जिसकी बुखार से मौत हो चुकी थी।
कथित तौर पर शाम को लगभग 4.45 बजे अस्पताल में मोबाइल फोन वीडियो जिसे आस पास के लोगों द्वारा शूट किया गया था, उसमें प्रेमचंद और आशा देवी ने अस्पताल परिसर में बच्चे के शव के साथ देखा जा सकता है।
Kannauj: A one-year-old child who had high fever and was admitted to the District Hospital here, died on 28th June. His father, Premchand says, "My child died due to negligence. We had made severeal requests to the doctors but no one listened to us." pic.twitter.com/8qoURWzjr3
— ANI UP (@ANINewsUP) June 29, 2020
कन्नौज जिले के मिश्रीपुर गाँव के निवासी प्रेमचंद को वीडियो में यह कहते हुए सुना जाता है कि किसी डॉक्टर ने उनके बच्चे को नहीं देखा।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में पिता को यह कहते सुना गया, “कोई भी डॉक्टर उसके पास उपस्थित नहीं था, हालांकि हम वहां लगभग 45 मिनट तक रहे। हमें कानपुर जाने के लिए कहा गया था। मैं एक गरीब आदमी हूं; मेरे पास कोई पैसा नहीं है। मैं क्या कर सकता हूं।”
बच्चे की माँ ने रोते हुए बताया, “उसकी गर्दन सूज गई थी। उन्होंने हमें 30-40 मिनट तक इंतजार करवाया।उसके बाद मेरे बैकगे को भर्ती किया गया लेकिन तब तक उनकी मृत्यु हो गई थी।”
कन्नौज के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ कृष्णा स्वरूप ने आरोप से इनकार किया है।
उन्होंने कहा, “मिश्रीपुर के एक निवासी, प्रेमचंद, ने अपने बेटे अनुज को अस्पताल में भर्ती कराया। एक बच्चे के विशेषज्ञ ने बच्चे का इलाज किया। लेकिन बच्चे की मौत आधे घंटे के इलाज के बाद हो गई। यह कहना गलत है कि बच्चे को भर्ती नहीं किया गया था और किसी डॉक्टर ने उसका इलाज नहीं किया।”