BY- FIRE TIMES TEAM
बाबा रामदेव के द्वारा किये गए दावे, जिसमें उन्होंने कहा कि कोरोनिल से कोरोना वायरस का इलाज पूर्णतया संभव है, पर पहले तो जयपुर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (NIMS) ने समर्थन किया था और अब विवादास्पद आयुर्वेदिक दवा से खुद को अलग कर लिया है।
NIMS ने कहा है कि कोरोनिल दवा का कोई नैदानिक परीक्षण अस्पताल या किसी मरीज पर नहीं किया गया है।
NIMS के अध्यक्ष, डॉ बी.एस. तोमर ने कहा, “दवा के हमारे अस्पताल में कोई नैदानिक परीक्षण नहीं हुआ है। हमारे द्वारा भर्ती किए गए रोगियों में कोई गंभीर मामला नहीं था। पतंजलि के प्रायोजन के तहत केवल 100 स्पर्शोन्मुख रोगियों को कुछ आयुर्वेदिक दवाएं दी गई थीं। लेकिन हमने कोई भी दवा तैयार नहीं की और न ही हमें इस दवा का नाम पता है।”
डॉ तोमर का दावा है कि कोरोना वायरस रोगियों पर पांच आयुर्वेदिक दवाओं के परीक्षण के लिए उन्हें सीटीआरआई की अनुमति थी।
उन्होंने कहा, “हमने कोरोना वायरस को ठीक करने के लिए दवा नहीं मांगी थी लेकिन केवल ये आयुर्वेदिक प्रतिरक्षा बूस्टर हैं। जो कोई भी इनका इस्तेमाल करता है, 35% तेजी से ठीक हो जाता है।”
तोमर ने यह भी कहा कि उन्होंने राजस्थान चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग को एक ईमेल के माध्यम से सूचित किया था।
हालांकि, राज्य सरकार ने नैतिक समिति की अनुमति के बिना परीक्षणों पर सवाल उठाते हुए एक नोटिस भेजा है।
आगे स्पष्ट करते हुए, तोमर ने यह भी कहा कि NIMS और पतंजलि के बीच किसी भी प्रकार का वित्तीय अनुबंध नहीं है।
दिलचस्प बात यह है कि कोरोनिल के लॉन्च के दौरान प्रेस कॉन्फ्रेंस में तोमर को बाबा रामदेव के साथ बैठे देखा गया था।