BY- FIRE TIMES TEAM
उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक पत्रकार से पुलिस के विशेषकार्य बल द्वारा राज्य के अस्पतालों और कॉलेजों में आपूर्ति की जाने वाली कम गुणवत्ता की व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण किट पर रिपोर्ट करने के बाद पूछताछ की गई।
17 अप्रैल को, न्यूज़ 1 इंडिया के लखनऊ स्थित पत्रकार मनीष पांडे ने एक ट्वीट किय। इस ट्वीट ने उत्तर प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था पर बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा दिया। दरअसल इन्होंने एक पत्र का खुलासा किया जिसमें कहा गया कि राज्य के आठ अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों को आपूर्ति की जाने वाली पीपीई किट आवश्यक गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं करती है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की शह पर घटिया
पीपीई किट अस्पतालों में सप्लाई कर दी गई । सोचिये अब इस घटिया किट के दम पर कैसे लड़ेंगे अस्पतालों में काम करनेवाले कर्मचारी ? #Covid_19#Covid_19india pic.twitter.com/PCaflA7HO1— MANISH PANDEY (@ManishPandeyLKW) April 17, 2020
पत्र में विशेष रूप से कहा गया है कि किट के गाउन की लंबाई निर्धारित मापदंडों द्वारा अपर्याप्त थी। पांडे की कहानी ने नौकरशाहों के बारे में सवाल उठाए जो कोरोना संकट के बीच में बराबर उपकरणों की आपूर्ति करते हैं।
कहानी प्रसारित होने के 13 दिन बाद, 30 अप्रैल को, पांडे को सहायक पुलिस अधीक्षक विशाल विक्रम सिंह द्वारा लखनऊ में विशेष कार्य बल मुख्यालय आने के लिए कहा गया। 1 मई को सिंह ने लगभग 11 बजे से 12 बजे के बीच लगभग एक घंटे तक पांडे से पूछताछ की। सिंह ने पांडे को पत्र लीक करने वाले स्रोत के बारे में लगातार पूछताछ की।
एक दशक से अधिक समय तक पत्रकार रहे पांडे ने किसी भी जानकारी का खुलासा नहीं किया। एएसपी ने उनकी पृष्ठभूमि के बारे में भी पूछताछ की और कहा कि उन्हें एसटीएफ को अपडेट करना चाहिए।
शुक्रवार को एक न्यूज़ 1 इंडिया सेगमेंट में, चैनल की संपादकीय टीम ने आश्चर्य व्यक्त किया कि आदित्यनाथ सरकार उस व्यक्ति को खोजने के लिए अधिक उत्सुक थी, जिसने पांडे को पत्र लीक किया था, जो उन अधिकारियों की जांच करने की तुलना में था, जो घटिया गुणवत्ता वाले पीपीई किट खरीदते हैं।
न्यूजलांडी ने स्पेशल टास्क फोर्स के एएसपी सिंह से बात की जिन्होंने इनकार किया कि पांडे को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। सिंह ने कहा, “मैंने उन्हें 5-10 मिनट के लिए चाय पर बुलाया। वहीं पत्रकार ने दावा किया कि बैठक लगभग एक घंटे चली।
एएसपी ने कहा, हम कई पत्रकारों से बात कर रहे हैं ताकि पता लगाया जा सके कि पत्र किसने लीक किया था। यह कोई पूछताछ नहीं थी।
जब से उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनी है तब से की महत्वपूर्ण घटनाओं को करने के लिए पत्रकारों को गिरफ्तार करने की घटना बढ़ गई है, उनके साथ मारपीट की गई और उन्हें परेशान किया भी लगातार किया जा रहा है।
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