उत्तर प्रदेश में गेहूँ की खरीद तो शुरू हो गई लेकिन किसानों के धान का करोडों रूपया अभी भी बकाया


BY- FIRE TIMES TEAM


लॉकडौन के बाद सबसे बुरी मार मजदूर और किसान झेल रहे हैं। किसानों पर बिन मौसम हुई बरसात ने दोहरी मार की है। लाखों किसानों का गेहूं तैयार था लेकिन बारिश ने उसपर आघात पहुंचा दिया।

उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जैसे जिलों में ओलावृष्टि से हज़ारों किसानों की फसल चौपट हो गई। इस बीच जब किसानों ने गेहूं की कटाई शुरू की तो उन्हें अपना पिछला बकाया भी मिलने की उम्मीद थी।

कई ऐसे किसान हैं जिन्होंने फरवरी में क्रय केन्द्रों पर धान बेचा था लेकिन अभी भी उसकी आधी रकम उन्हें नहीं मिल पाई है।

डाउन टू अर्थ ने मिर्ज़ापुर जिले की अपनी रिपोर्ट में बताया है कि किसान सुखलाल ने अपने धान को बेचने क्रय केंद्र ले गए जहां उन्हें तौलाने में दस दिन लग गए। फरवरी में 55 क्विंटल धान की तौल होने के बाद आज भी उनका आधा पैसा नहीं मिला। उन्हें अभी भी 50900 रुपये का इंतजार है।

पैसे न मिलने की वजह से सुखलाल न तो किसान क्रेडिट कार्ड का भुगतान कर पा रहे हैं और न ही ट्रैक्टर का लोन जमा हो पा रहा है।

ऐसी ही कहानी कुछ किसान कमला शंकर की है। ये जनवरी में धान लेकर क्रय केंद्र गए लेकिन इनको धान को तौलाने में एक महीना लग गया। अब भी वह पैसे के इंतजार में हैं और कहते हैं कि वह पूरी तरह खेती पर निर्भर हैं और ऐसे में पैसे नहीं मिलने से सारा काम रुका हुआ है।

केवल मिर्ज़ापुर ही नहीं प्रदेश के कई ऐसे किसान हैं जिन्हें अभी भी धान की बिक्री का पैसा नहीं मिला है। गेहूं की कटाई के साथ बिक्री भी शुरू हो गई है ऐसे में किसानों को बकाया पैसा न मिलना चिंता का विषय है।

उत्तर प्रदेश के केवल मिर्जापुर में ही किसानों का 3.66 करोड़ रुपये बकाया है इसके साथ ही सोनभद्र में धान की बिक्री करने वाले किसानों का 7.43 करोड़ रुपये अभी भी नहीं मिल पाया है।

दूसरी ओर अभी भी सहकारी समितियों के गोदाम धान से भरे पड़े हैं इससे गेंहू लेकर आने वाले किसान को खुले में ही छोड़ना पड़ रहा है। इससे किसानों का गेहूं खराब हो सकता है जो कि एक लापरवाही का नतीजा साबित होगा।

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने बताया कि आज भी प्रदेश के लाखों किसानों का पैसा नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा सरकार को किसानों को धान की बिक्री का बकाया का भुगतान तुरंत करना चाहिए।

 

 

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