अयोध्या में हिन्दू मंदिर का दावा मुख्य मुद्दों से ध्यान बटाने का हथकंडा- पूर्व आईपीएस


BY- FIRE TIMES TEAM


कोरोना संकट के बीच अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को लेकर भी सियासत गरम हो रही है। सालों से चल रहे बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद भी लोग सवाल कर रहे हैं।

ताजा मामला रामजन्मभूमि परिसर में चल रहे समतलीकरण कार्य के दौरान रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को कई पुरातात्विक मूर्तियाँ, खंभे और शिवलिंग मिलने की खबर को लेकर सामने आया है।

मूर्तियां मिलने की खबर के बाद बहुत से बुद्धजीवियों ने सवाल खड़े किए हैं। इनमें पूर्व आईपीएस रहे एस. आर. दारापुरी का नाम भी शामिल है। उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम से सरकार को घेरने का काम किया।

उन्होंने कहा है कि जिस तरह से कल से अयोध्या में मिले अवशेषों का विडियो प्रसारित करके वहां पर हिन्दू मंदिर होने का दावा किया जा रहा है वह वास्तव में कोरोना संकट का सामने करने में मोदी सरकार की विफलताओं से लोगों का ध्यान बटाने का हथकंडा है.

यह सर्वविदित है कि मोदी सरकार प्रवासी मजदूरों, कोरोना मरीजों का टेस्ट, क्वारंनटाईन व्यवस्था, संक्रमित लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएँ, आर्थिक व्यवस्था एवं अन्य सभी मुद्दों पर बिलकुल असफल रही है जिससे जनता में सरकार के प्रति आक्रोश उभर रहा है.

लगता है इस सब से ध्यान बटाने के लिए खुदाई/समतलीकारण से मिले अवशेषों को आधार बना कर वहां पर हिन्दू मंदिर होने का पुनः दावा किया जा रहा है जिस के बारे में सुप्रीम कोर्ट पहले ही बिना किसी सुबूत के राम मंदिर के पक्ष में फैसला दे चुकी है और इसे सभी पक्षों ने किसी तरह से स्वीकार भी कर लिया है.

अब फिर इसकी बात उठाना यह दर्शाता है कि शायद राम मंदिर वाली पार्टी अभी भी अन्दर ही अन्दर अपने दावे को कमज़ोर समझ रही है और इसे अभी भी पुख्ता करने में लगी है.

बिहार का चुनाव जिसे हिन्दू-मुस्लमान करने की ज़रुरत है, भी एक कारक हो सकता है क्योंकि भाजपा का मंदिर मुद्दा तो अब ख़त्म हो गया है पर उसे अभी भी चुनाव हित में जीवित रखने की ज़ुरूरत है.

उदाहरणार्थ इनमे एक धम्म चक्र है जिसके ऊपर बाहरी चक्र में 29, अन्दर के चक्र में 13 तथा सबसे छोटे चक्र में 7 कमल पत्तियां हैं. यह 29 वर्ष की आयु में बुद्ध के गृह त्याग, 10 पारमित्ताओं के साथ 3 त्रिशर्ण तथा बुद्ध के जन्म के तुरंत बाद पूर्व दिशा में चले 7 क़दमों के नीचे कमल के फूलों को इंगित करती हैं इसी तरह जिसे शिवलिंग कहा जा रहा है वह वास्तव में छोटा बौद्ध स्तूप है क्योंकि शिवलिंग गोल होता हो चोकोर नहीं. एक द्वार पट्टिका पर कलश होने का दावा भी गलत है क्योंकि वह वास्तव में बुद्ध की तराशी हुयी मूर्ती है जिन्हें सलग्न चित्रों में देखा जा सकता है.

अतः आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट सभी लोगों से आग्रह करता है कि वे आरएसएस/विश्व हिन्दू परिषद् के इन ध्यान बटायू हथकंडों से सावधान रहें और मोदी सरकार की कोरोना संकट को हल करने की विफलताओं को जोर शोर से उठायें और उस पर ज़रूरी कदम उठाने के लिए दबाव बनाये तथा राजनितिक परिवाद संगठित करें ताकि आने वाले समय में कोरोना की सुनामी से निबट सके.

एस आर दारापुरी (आईपीएस से.नि.) आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं।

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