BY- FIRE TIMES HINDI
कई मीडिया वालों ने भारतीय मुसलमानों पर कोरोना वायरस को फैलाने की साजिश का दोषी बताया, खासकर तबलीगी जमात से जुड़े लोगों को, जो बीमारी फैला रहे हैं।
परंतु भारतीय वैज्ञानिकों के एक समूह (Indian Scientists Response to Covid 19 group) ने जाँच करके अपनी रिपोर्ट दी जिसमें उन्होंने कहा है कि “उपलब्ध डेटा उन अटकलों का समर्थन नहीं करता है कि भारत में कोरोना वायरस महामारी के लिए दोष मुख्य रूप से तब्लीगी जमात का है।”
कई हैशटैग जैसे कोरोना जिहाद, कोरोना टेररिज्म’ और ‘कोरोना तब्लीगी ’ट्विटर पर ट्रेंड कर चुके हैं और हैशटैग #CoronaJihad के साथ ट्वीट लगभग 300,000 बार किया गया है, और संभावित रूप से ट्विटर पर 16.5 करोड़ लोगों ने देखा है।
मुख्यधारा के मीडिया ने बार-बार जोर देकर कहा कि तब्लीगी जमात के सदस्य ‘सुपर स्प्रेडर’ हैं, और कुछ लोगों ने मांग की कि उन्हें गोली मार दी जानी चाहिए।
उन पर डॉक्टरों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं पर थूकने, अस्पताल के वार्डों में शौच करने, नर्सों के साथ दुर्व्यवहार करने, मूत्र की बोतलें फेंकने, चिकन बिरयानी की मांग करने आदि का आरोप लगाया गया, और ये कहा गया कि तबलीगियों का उद्देश्य है कि जितना संभव हो सके कोरोंना का संक्रमण लोगों में फैलाया जाए।
यह आरोप हिटलर के नाज़ी मंत्री गोएबल्स के एक सिद्धांत ‘जितना बड़ा झूठ, उतनी ही आसानी से वह जनता द्वारा निगला जाएगा’ की याद दिलाता है।
ये सही हो सकता है कि तब्लीगी जमात ने ऐसे समय में मरकज़ का आयोजन करके लापरवाही की। परन्तु ऐसा ही अन्य धार्मिक समूहों, राजनीतिक समूहों, ने भी किया जिससे कोरोना वायरस से सम्बन्धित दिशानिर्देशों की धज्जियां उड़ा दीं गई।
उदाहरण के तौर पर यूपी के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में 25 मार्च को एक प्रमुख हिंदू उत्सव में भाग लिया, जब देश भर में लाकडाउन लागू था।
इसी दौरान लाखों प्रवासी श्रमिक(migrant workers) विभिन्न स्थानों पर इकट्ठा हुए थे, और निश्चित रूप से ये सभी मुस्लिम नहीं थे।
मुम्बई के धारावी में मलिन बस्तियों में एक कोरोना पॉजिटिव मरीज था जो मुस्लिम नहीं था। फिर भी पूरा दोष मुसलमानों पर लगाया गया, जैसे कि वे अकेले कोरोना फैलाते हैं, और हाल के दिनों में भारत के कई हिस्सों में मुसलमानों पर हमला और उत्पीड़न हुआ है।
लेख- मार्कंडेय काटजू फेसबुक पेेेज से साभार।
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