लालू प्रसाद ने कोसी के बाढ़ पीड़ितों के लिए मुफ्त ट्रेनें चलाईं, पीयूष गोयल ने किराया लेकर घर पहुंचाया


2008 में बिहार के कोसी में बाढ़ आई थी। उस समय रेल मंत्री लालू प्रसाद थे। उन्होंने कोसी के बाढ़ पीड़ितों के लिए छह ट्रेनें मुफ्त में चलवाई थीं। सहरसा-मधेपुरा, पूर्णिया-बमनखी, सहरसा-पटना के बीच चार ट्रेनें और समस्तीपुर से सहरसा के बीच दो ट्रेनें।

बाढ़ ने सबको आर्थिक रूप से उजाड़ दिया था इसलिए लालू प्रसाद ने मुफ्त में ये ट्रेनें चलवाई थीं। बिजनेस स्टैंडर्ड की ख़बर की प्रति लगा रहा हूं। इस ख़बर में यह जानकारी अंतिम पैराग्राफ है। आज की मोदी सरकार होती तो ख़बर लिखने वाला इसी बात से शुरू करता कि सरकार मुफ्त में लोगों को घर पहुंचाएगी।

उस वक्त ज़माना दूसरा था तो पहले यह छपी है कि लालू प्रसाद ने टीवी के किसी शो से मिला एक करोड़ रुपया बाढ़ पीड़ितों के लिए दान कर दिया है।

1 मई को जब यह ख़बर आई कि गृहमंत्रालय ने मज़दूर दिवस के मौके पर श्रमिक स्पेशल चलाने का फ़ैसला हुआ है। यह ख़बर न तो बताई गई और न ही किसी ने जानने का प्रयास किया कि श्रमिक स्पेशल में मुफ्त यात्रा होगी या मज़दूरों से किराया लिया जाएगा। न ही पत्रकारों ने गृहमंत्रालय के नोटिफिकेशन में किराये की लिखी हुई बात पर ज़ोर दिया।

गृहमंत्रालय ने जिस नोटिफिकेशन में एलान किया था कि श्रमिक स्पेशल चलेगी उसमें लिखा था कि रेलवे पैसा लेगी। रेलवे गाइडलाइन तय करेगी कि टिकटों की बिक्री कैसे होगी।

रेलवे के प्रवक्ता ने संवाददाताओं को मैसेज किया था कि मज़दूरों का किराया राज्य सरकार देगी। रेलवे यात्रियों से कोई किराया नहीं लेगी क्योंकि उसके लिए काउंटर खोलना पड़ेगा।

लेकिन द हिन्दू की ख़बर बताती है कि रेल बोर्ड के सर्कुलर के अनुसार श्रमिक स्पेशल के मज़दूर यात्रियों से किराया और 50 रुपये अतिरिक्त भार लिए जाएंगे। स्लीपर क्लास का किराया लेने की बात कही गई है। इसके अलावा 30 रुपये सुपरफास्ट चार्ज और 20 रुपए अतिरिक्त। कुल 50 रुपये।

मनीष पानवाला की रिपोर्ट है कि सूरत से उड़ीसा के ब्रह्मपुरी स्टेशन के लिए श्रमिक स्पेशल चली है उसके लिए जब उन्हें पता चला कि 710 रुपये किराया लगेगा तो मज़दूर रिश्तेदारों और दोस्तों से मदद मांगने लग गए। केरल से भी इसी तरह की ख़बर आई है।

आपने बसों को परमिट दिए जाने की ख़बर सुनी होगी। बहुत से मज़दूरो ने 4000 से 5000 रुपये देकर बस यात्रा की है। एक परिवार पर 15 से 20 हज़ार का अतिरिक्त बोझ पड़ा होगा।

आई टी सेल ही एकमात्र राजनीतिक जमात है जो जनमत बनाता है। आप सभी आई टी सेल के लोगों से गुज़ारिश करें कि आई टी सेल मज़दूरों के हित के लिए लड़ें। या फिर लालू प्रसाद के खिलाफ ट्रेंड कराए कि उन्होंने बिहार के बाढ़ पीड़ितों के लिए मुफ्त में ट्रेन चला कर रेलवे का नुकसान कर दिया।

पीयूष गोयल के पक्ष में ट्रेंड कराए कि वे आर्थिक रूप से टूट चुके मज़दूरों से किराया लेकर रेलवे का फायदा कराया है। गोयल की मानवता लालू प्रसाद की मानवता से महान है।

सरकार दयावान महान है। किराया लेकर ट्रेन चलाती है। ख़बरें ऐसे छपती हैं जैसे मुफ्त में कृपा बरसाई गई है।

नोट- 2013 के बिजनेस स्टैंडर्ड की ख़बर का स्क्रीन शाट है, खबर 2008 की है। लेकिन बिजनेस स्टैडर्ड की खबर में 2013 लिखा है। वैसे इस खबर को सर्च करेंगे तो 2008 की डेटलाइन से कई जगह पर मिलेगी। और 2 मई 2020 की हिन्दू अखबार की खबर का स्क्रीन शाट है। हमने आउटलुक के खबर की क्लिपिंग भी लगाई है। जो 2008 की खबर की है। कुछ तथ्यों में संशोधन किया है और बाद में जोड़े हैं।

रवीश कुमार के फेसबुक पेज से आभार

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