राहत इंदौरी एक ऐसे शायर थे जो बिना झिझक के सत्ता पर तंज कसते थे। उनकी शायरी में आम अवाम होती थी। उनके बोल न तो कांग्रेस सरकार में कभी फीके पड़े और न वर्तमान की मोदी सरकार में।
लेकिन इनकी मौत पर लोगों ने खूब जश्न मनाया। सोशल मीडिया पर कट्टरपंथी सोच के लोगों ने जहर उगलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इतने बड़े साहित्यकार की मौत पर इस प्रकार की घृणा शायद यह दिखाती है कि हम साहित्य समझते ही नहीं हैं।
आपको हम कुछ पोस्ट दिखाने का प्रयास कर रहे हैं जिससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि हमारे समाज में नफरत कितनी फैल चुकी है। यह नफरत न तो स्वंय के लिए लाभदायक है और न देश व समाज के लिए।
आप देख सकते हैं कि किस प्रकार से नफरत है लोगों में। क्या यह इसलिए है कि राहत इंदौरी की रचनाएं सत्ता में बैठे लोगों पर तमाचा मारती हैं? क्या इसलिए कि राहत की शायरी सत्ता से अप्रत्यक्ष रूप से सवाल करती हैं? या फिर ये इसलिए कि वह एक धर्म निरपेक्ष और उदारवादी सोच के इंसान थे।
बहरहाल जो भी हो लेकिन किसी की मौत पर ऐसे जश्न मनाना न तो हमारी पहचान है और न ही हमारी संस्कृति के अनुकूल। भारत दुनिया को एक संदेश देने का काम करता है। इतनी विविधता के साथ यहां लोग रहते हैं यह अपने आप में एक बड़ा संदेश देने का काम करता है।
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अब जिस प्रकार से नफरत फैलाई जा रही है वह न तो भारत का भला करेगी और न ही हमारा और आपका। इस नफरत से सिर्फ सत्ता हासिल की जा सकती है, अवाम का कल्याण कभी नहीं। इसलिए हम सभी को मिलकर भारत को मजबूत बनाना होगा न कि बंटकर कमजोर।