BY- FIRE TIMES HINDI
बात 2016 की है जब भारत के उरी में आतंकी हमला होता है। इस हमले में कई भारतीय जवान शहीद हो जाते हैं। इसको लेकर देशभर में बहस छिड़ जाती है।
टीवी पत्रकार अर्नब भी इस मुद्दे पर ढ़ेर सारी बहस कराते हैं। बहस के दौरान वह पाकिस्तान के साथ-साथ आतंकवादी संगठनों पर खूब निशाना साधते हैं।
अर्नब गोस्वामी को तब पाक-आधारित आतंकी समूहों से खतरे के लिए वाई श्रेणी सुरक्षा कवर प्राप्त करने के लिए कहा गया।
अर्नब गोस्वामी को इंटेलिजेंस ब्यूरो द्वारा “पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों” से उनकी जान को खतरा होने के बाद सरकार से “वाई श्रेणी” सुरक्षा कवर प्राप्त करने के लिए कहा गया था।
पत्रकार के साथ दो निजी सुरक्षा अधिकारियों सहित लगभग 20 सुरक्षाकर्मियों से 24 घंटे की सुरक्षा मिलने की बात हुई जो उन्हें निकट दूरी से रक्षा करते।
इस सुरक्षा को देने के पीछे की प्रमुख वजह अर्नब गोस्वामी 18 सितंबर 2016 को उरी आतंकी हमलों के बाद से पाकिस्तान के खिलाफ मुखर होना रहा था।
उस समय अर्नब गोस्वामी टाइम्स नाउ के एडिटर-इन-चीफ थे। तब वह अपना खुद का चैनल नहीं चला रहे थे।
हिंदुस्तान टाइम्स के हवाले से कहा गया था कि टाइम्स नाउ पर अर्नब की टिप्पणियों के कारण पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों से उन्हें खतरा है।
अर्नब गोस्वामी के अलावा, इसी तरह के कवर पाने वाले अन्य पत्रकारों में ज़ी न्यूज़ के सुधीर चौधरी (‘एक्स’ श्रेणी), समाचार प्लस के उमेश कुमार (‘वाई’ श्रेणी) और अश्विनी कुमार चोपड़ा (‘जेड प्लस’ श्रेणी) शामिल हैं।
आपको यह भी मालूम होना चाहिए कि हर साल कई पत्रकारों की हत्या हो जाती है। उनको धमकियां मिलती हैं लेकिन उस पर कोई ध्यान नहीं देता।
सरकार को चाहिए कि सभी पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित हो। चाहे वह कोई छोटे जिले स्तर से काम कर रहा हो या बड़े महानगर से। प्रेस की फ्रीडम ही लोकतंत्र का आधार है।