BY-FIRE TIMES TEAM
कोरोना संकट के बाद जब से लॉकडाउन हुआ है तब से संक्रमण की दर में कोई कमी दिखाई नहीं दी है। संक्रमण के मामले एक लाख तीस हजार से भी ज्यादा होने के बाद मोदी सरकार के द्वारा किए गए लॉकडाउन लोगों ने सवाल करना शुरू कर दिया है।
संक्रमण के मामले में जहां महाराष्ट्र पहले नंबर पर बना हुआ है वहीं गुजरात का अहमदाबाद भी काफी आगे है। गुजरात का अहमदाबाद संक्रमण के मामले में अन्य शहरों की बजाए काफी आगे है। कई लोगों की यहाँ मौत हो चुकी है जिनमें कद्दावर नेता भी शामिल हैं।
अहमदाबाद कोरोना हॉटस्पॉट बनने के बाद लोगों ने गुजरात मॉडल पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। लोग ट्रम्प दौरे के साथ-साथ स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।
अब गुजरात हाई कोर्ट ने भी विजय रुपाणी नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की कड़ी आलोचना की है। हाई कोर्ट ने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल को ‘एक कालकोठरी जितना अच्छा या इससे भी बुरा’ बताया।
कोर्ट ने कहा, ‘यह बहुत ही दुःखद और दर्दनाक है कि आज की तारीख में सिविल अस्पतालों की स्थिति दयनीय है। हमें यह कहते हुए बहुत दुःख हो रहा है कि अहमदाबाद के सिविल अस्पताल बेहद खराब स्थिति में हैं।’
पीठ ने गुजरात के स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर को डूबता हुआ टाइटेनिक करार दे दिया। कोर्ट ने कहा ऐसा प्रतीत होता है कि आज की तारीख में यह एक कालकोठरी के जितना अच्छा है। ये कालकोठरी से भी बदतर हो सकता है।
कोर्ट की आलोचना करने के पीछे कोरोना से मरने वालों की संख्या है जो कि 377 है। मतलब जितनी मौते गुजरात में हुई हैं उनमें 45 फीसदी मौतें केवल सिविल अस्पताल में हुई हैं।
कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश भी दिए हैं।
यह भी पढ़ें: Lock Down: प्रवासी मजदूरों की दयनीय स्थिति एक मानव त्रासदी: मद्रास हाई कोर्ट