BY – संजीव कुमार ‘बैरागी’
जी हां, सही सुना आपने। घटना की गंभीरता को देखें तो कुछ ऐसा ही लगता है। कैलेंडर के पन्नो पे तारीख थी 10 अप्रैल और वक़्त था पक्षियों के घर वापसी का जब विंध्य की गोद में बसे ऊर्जा की राजधानी कहे जाने वाले सिंगरौली के जिला मुख्यालय से तकरीबन 15 किमी• दूर शासन में स्थित रिलायंस अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट का राखयुक्त बांध टूट गया।
शुक्रवार शाम घटित घटना में जहां एक ओर बांध से निकले टॉक्सिक केमिकल युक्त जहरीले राखड़ ने कई एकड़ जमीन पे खड़ी फसल के साथ-साथ लोगों के आशियाने को भी अपने गाल में समा लिया, तो वहीं दूसरी ओर 2 मृतकों और 4 लोगों के लापता होने से आम जन-मानस में भय ने अपनी पैठ बना ली है।
मृतकों में 35 वर्षीय व्यक्ति और 8 वर्ष का मासूम भी शामिल है। घटना की सूचना मिलते ही आनन-फानन में NDRF के 30 बचावकर्मियों को वाराणसी से सिंगरौली के लिए रवाना किया गया।

स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने 3 महीने पूर्व 24 घंटे का धरना प्रदर्शन कर लिखित रूप से परियोजना प्रशासन को बांध में दरार होने की बात से आगाह किया गया था ,परंतु परियोजना के आला-अधिकारियो द्वारा लिखित रूप से दरार की बात को नकार दिया गया।
घटना की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले एक साल में इस प्रकार की यह तीसरी घटना है। बीते वर्ष अक्टूबर में एस्सार पावर प्लांट में भी इस प्रकार की बात सामने आई थी। इस पानी के मध्य प्रदेश और उत्तरप्रदेश की सीमा पर स्थित रिहंद डैम में मिलने की संभावना से भी लाखों जिंदगियों पर संकट मंडरा रहा है।
जहां एक ओर परियोजना के आला अधिकारी आंतरिक अन्तर्ध्वंश का हवाला देकर कमिटी गठित कर के पीछा छुड़ाना चाहते हैं वहींं दूसरी ओर जिला महकमे का कहना है की मामला पूर्णरूपेण परियोजना की लापरवाही का परिणाम है।
जिलाधिकारी के• व्ही• एस• चौधरी ने जान माल की क्षतिपूर्ति और तुरंत राहत सामग्री व आश्रय देने का अश्वासन दिया है। बहरहाल वर्तमान स्थिति को देखकर तो यही लग रहा है कि परियोजना प्रशासन और जिला महकमे के आरोपो के खेल में आम जनता की जिंदगी दांव पर लगी है।
लेखक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्ययनरत हैं।