BY- FIRE TIMES TEAM
साल 2017 के मणिपुर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आई थी। 60 विधानसभा सीटों वाले मणिपुर में कांग्रेस ने 28 सीटें जीती थी। वह बहुमत से बस 3 सीटे पीछे थी। इसके बावजूद सरकार बनाने में वह कामयाब नहीं हो पाई थी।
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वहीं बीजेपी ने जिसको कांग्रेस से कम सीटे मिली थीं उसने अन्य राजनीतिक दलों के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। गठबंधन में बीजेपी के अलावा एनपीपी, नगा पीपुल्स फ्रंट और लोक जनशक्ति पार्टी जैसे दल भी शामिल थे। एनपीपी और एनपीएफ दोनों के पास 4-4 विधायक हैं वहीं एलजीपी के पास एक विधायक है।
अब इस गठबंधन से एनपीपी ने अपने हाँथ खींच लिए हैं। प्रदेश में बीजेपी के तीन विधायक इस्तीफा भी दे चुके हैं। दूसरी ओर एक निर्दलीय विधायक और एक तृणमूल कांग्रेस के विधायक जो सरकार को समर्थन दे रहे थे, उन्होंने भी वापस ले लिया है।
एनपीपी के गठबंधन से दूर होने के कारण मणिपुर की एन. बीरेन सिंह सरकार संकट में आ गई है। लोगों ने कयास लगाने शुरू कर दिए हैं कि यह सरकार अब गिर जाएगी।
वर्तमान में गठबंधन के पास 23 ही विधायक हैं जो कि बहुमत के आंकड़े से काफी दूर है। उधर कांग्रेस यह दावा कर रही है कि उसके पास बहुमत है।
यदि बीजेपी की सरकार गिरती है तो यह उत्तर पूर्वी प्रदेश से कांग्रेस को मुक्त करने का सपना बीजेपी का अधूरा ही रह जाएगा। कांग्रेस इससे एक बार पुनः इस इलाके में अपनी पैठ मजबूत कर सकती है।
अब देखना यह होगा कि बीजेपी क्या कदम उठाती है।
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