BY- BIPUL KUMAR
मीडिया चीता की हर खूबी बता रही है। भारत के न्यूज़ चैनलों पर चीता का इतना कवरेज हो रहा है कि देश चीता विशेषज्ञ हो चुका है। हर कुछ दिन के बाद प्रधानमंत्री के आस-पास ऐसा इवेंट रचा जाता है जिससे देश के नाम वही सब कुछ करते नज़र आते हैं। पर्यावरण मंत्री से लेकर रक्षा मंत्री तक कोई नज़र नहीं आता। यह तस्वीर 2010 की है। जयराम रमेश दक्षिण अफ़्रीका गए थे।

पीएम नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर 17 सितंबर को नामीबिया से आठ चीते भारत लाए जा रहे हैं। इसके बाद इन चीतों को मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में आज छोड़ दिया जाएगा। जो चीता आज मध्यप्रदेश के कूनो नैशनल पार्क में आने वाले हैं, उन्हें भारत में लाने और वहाँ बसाने का सपना जयराम रमेश ने 2010 में देखा था।
न केवल सपना देखा था बल्कि वो उन्हें भारत लाने के लिए ईरान, नामीबिया, तंज़ानिया और साउथ अफ़्रीका से लगातार सम्पर्क कर रहे थे। लेकिन 2012 में उनके इस प्लान पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी क्यूँकि कुछ लोगों ने याचिका लगाई थी कि चीते बसाने से वहाँ का परिस्थितिक तंत्र बिगड़ जाएगा।
कब और कहाँ देखा गया आखिरी बार चीता
चीता, जो भारत में पिछले 70 साल पहले विलुप्त हो चुका है, उसका नाम संस्कृत के शब्द चित्रकम यानि चितकबरा (spotted) से ही दिया गया था, और भारत के शिकार प्रेमियों ने उसे मार मार कर विलुप्त कर दिया। हालाँकि आख़िरी बार उसके 1964 में छतीसगढ़ में देखे जाने का दावा भी किया गया लेकिन उसके बाद से किसी ने चीता देखने का दावा भी नहीं किया।
तो जो चीते आज भारत में अपना घर बसाने लाए जा रहे उनको निमंत्रण देने का काम, उनके घरवालों से उन्हें विदा करने की गुज़ारिश और उनके लिए यहाँ घर बनाने का काम उन्होंने ही किया था जिनके बारे में आप कहते हो कि उन्होंने 70 सालों में कुछ नहीं किया।
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