BY – FIRE TIMES TEAM
लगभग 500 वर्षों तक चले राम मंदिर विवाद का पटाक्षेप अब हो चुका है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दशकों तक यह बहस चलती रही कि राम मंदिर का अस्तित्व था या नहीं। कोर्ट ने सदियों पुराने दस्तोवेजों और पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने बताया कि राम मंदिर के नीचे एक टाइम कैप्सूल दबाया जायेगा और 5 अगस्त को मंदिर का भूमिपूजन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों होना है।
रामजन्म भूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार राम जन्मभूमि के इतिहास को सिद्ध करने के लिए काफी लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। ऐसी विवादास्पद समस्या भविष्य में दोबारा न हो इसके लिए मंदिर निर्माण स्थल की जमीन से लगभग 2000 फीट नीचे एक टाइम कैप्सूल रखने की योजना है। टाइम कैप्सूल को रखने का मकसद श्रीराम जन्मभूमि के इतिहास को सुरक्षित रखना है।
क्या है टाइम कैप्सूल ?
टाइम कैप्सूल विशिष्ट सामाग्री का बना कंटेनर होता है। जो हर तरह के मौसम का सामना कर सकता है। इसे जमीन के अंदर काफी गहराई में दफनाया जाता है फिर भी बिना सड़े-गले यह हजारों सालों तक सुरक्षित रहता है। इसका उद्देश्य उस समाज, देश या काल के इतिहास को सुरक्षित रखना होता है। जिससे भविष्य की आने वाली पीढ़ियां इसे जान और समझ सकें।
ऐसा नहीं है कि टाइम कैप्सूल को दफनाने का काम पहली बार हो रहा है। इससे पहले भी लगभग दर्जन भर टाइम कैप्सूल अलग-2 नेताओं और बड़ी संस्थाओं के लिए जमीन के अंदर दबाया गया है।
ऐसा ही एक वाकया है पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जब उन्होंने 15 अगस्त, 1973 को लाल किले के अंदर टाइम कैप्सूल जमीन के अंदर डाला था। इन्होंने इसका नाम कालपात्र रखा था। कहा जाता है कि उन्होंने अपने और अपने वंश का बखान इस टाइम कैप्सूल में सुरक्षित रखा था। जनता सरकार इसे निकलवा चुकी थी लेकिन कभी किसी को नहीं बताया कि इसमें वाकई में क्या था। जेएनयू के प्रोफेसर आनंद रंगनाथन ने एक फोटो ट्वीट करके यादें ताजा कर दीं।
On August 15, 1973, amid great fanfare, Indira Gandhi buried a vacuum-sealed, copper- and steel-encased time capsule in front of the Red Fort. Set to last 5000 years, its contents have never been made public.
What was in it that was so secretive? pic.twitter.com/Z7gm05cOKR
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) July 26, 2020
इंदिरा गांधी के अलांवा नरेन्द्र मोदी और मायावती पर भी टाइम कैप्सूल दफनाने के नाम पर अपनी उपलब्धियों का बखान करने का आरोप लगा है। 2011 विपक्ष ने आरोप लगाया था कि नरेन्द्र मोदी ने महात्मा मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल दफन करवाया था। जिसमें गुजरात के इतिहास की जानकारी लिखित और डिजिटल रूप में रखे जाने के नाम पर अपनी उपलब्धि दर्ज करने की बात विपक्ष ने कहा था।
इसी तरह के आरोप यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती पर 2009 में लगे थे। नेताओं के साथ-2 कुछ संस्थानों जैसे लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, आईआईटी कानपुर के इतिहास को सुरक्षित रखने के लिए उसके जमीन के नीचे भी टाइम कैप्सूल को दफनाया गया है।