उत्तर प्रदेश : क्या मिशन शक्ति एक ढोंग है?

BY – FIRE TIMES TEAM

साल 2017 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी बेटियों के खिलाफ महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों और प्रदेश में गुंडाराज और खस्ताहाल प्रशासन को दुरुस्त करने के वादे की बदौलत ही सत्ता में आई थी।

लेकिन आज प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा सिर्फ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और मिशन शक्ति जैसे पोस्टर, बैनर में ही दिखती है।

मौजूदा सरकार में प्रदेश की महिलाओं और बेटियों के खिलाफ जघन्य अपराध हो रहे हैं।  ऐसे अपराध के बाद प्रदेश के नेता और विधायक बेहद घटिया बयान देते हैं और प्रदेश की पुलिस तो यह साबित करने में लग जाती है कि अपराध तो हुआ ही नहीं है।

पहले तो थाने में एफ आई आर लिखी नहीं जाती और यदि लिखी भी गई तो कार्यवाही के नाम पर पीड़ितों को ही परेशान किया जाता है।

पिछले दो महीनों की बात करें तो प्रदेश में ऐसी वीभत्स घटनाएं घटित हुई है जिसमें पुलिस भी उतने ही जिम्मेदार है जितने कि वे अपराधी।

हाथरस कांड  अभी तक आप भूले नहीं होंगे, और अब फतेहपुर, कानपुर, बुलंदशहर और बाराबंकी जिलों में दिल दहला देने वाली दुष्कर्म की घटनाएं घटित हुई हैं।

बुलंदशहर में तो एलएलबी की छात्रा ने गैंगरेप के बाद पुलिस की ओर से कोई कार्यवाही ना होने के वजह से आत्महत्या कर लिया।

और फतेहपुर में दो दलित बच्चियों के शव तालाब में मिले उनके हाथ बंधे हुए थे कान कटे हुए थे। जब परिवार वालों ने दुष्कर्म की आशंका व्यक्त की दो पुलिस बच्चियों के चाचा को ही थाने उठा ले गई।

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ऐसी पुलिस से आप क्या आशा कर सकते हैं जो पुलिस सहायता के लिए होनी चाहिए वह पुलिस जनता को डराने और धमकाने में लगी रहती है।

हमारे देश और प्रदेश में अपराधों को बढ़ावा मिलने का एक सबसे बड़ा कारण यह है कि घटना होने के बाद पीड़ित व्यक्ति कि एफआईआर ही नहीं लिखी जाती यदि एफआईआर ही नहीं लिखी जाएगी तो उस पर कार्यवाही करने की जहमत ही नहीं उठानी पड़ेगी।

ऐसे समय में योगी सरकार की मिशन शक्ति सिर्फ बैनर और पोस्टर में ही अच्छी लगती है हकीकत में इसका महिलाओं की सुरक्षा से कोई वास्ता नहीं है।

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