क्या 2024 के चुनाव में बीजेपी का 50 सीटों पर सिमटना संभव हैं?

BY- FIRE TIMES TEAM

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जदयू की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में मीडिया के सामने दावा किया कि अगर विपक्ष साथ मिलकर लड़े तो 2024 के चुनाव में बीजेपी 50 सीटों पर सिमट जाएगी। नीतीश कुमार ने कहा, ”मैं इसी अभियान पर काम कर रहा हूं। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से मेरी बात हुई है। इसी सिलसिले में जल्द ही दिल्ली भी जाऊंगा। ”

नीतीश कुमार ने कहा कि ”ललन सिंह तो 150 सीट बोल रहे हैं लेकिन बीजेपी 50 के अंदर सिमट जाएगी।” लेकिन क्या यह संभव है? इस सवाल पर छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार आवेश तिवारी बताते हैं कि, “नीतीश कुमार ने बीजेपी को 2024 में 50 सीट ज्यादा बताया है। अगर विपक्ष छछन्दरई छोड़ केवल सही ढंग से जमीनी लोगों को एकजुट होकर टिकट दे तो बीजेपी 10 से ज्यादा सीट नहीं जीत सकती।”

“एक बात बताइये इस प्रचंड लहर में छ्त्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 71 सीट जीती कि नहीं जीती? दिल्ली से भाजपा का सूपड़ा साफ हुआ कि नहीं? बंगाल में बिस्तर गोल हुआ कि नहीं हुआ। ओडिसा में तो नवीन बीजेपी को सांस भी नहीं लेने दे रहे।”

“यह हांफ रहे हैं थक गए हैं बड़े गुरु कब न आपा खोकर कुछ अंड बण्ड करें कोई ठीक नहीं है। गकतफहमी में न रहें मोदी शाह सरकार नहीं बचा रहे सत्ता परिवर्तन के डर से थर थर कांप रहे। वह जानते हैं कि देश की जनता उन्हें उनकी गलतियों के लिए माफ नहीं करने वाली।वह यह भी जानते हैं कि शहरी बेवकूफ एलीट ट्वीटरेटी तबका चुनाव नहीं जीता सकता।” आगे आवेश तिवारी बताते है।

क्या आप जानते हैं लोकसभा में भाजपा के एक-तिहाई से ज्यादा सांसद दूसरी पार्टियों के हैं और यूपी के भाजपा विधायकों में आधे से ज्यादा दूसरी पार्टियों से आए नेता हैं? नहीं जानते तो जानिए।

अब मोदी शाह की गणित समझिए। यह जो मणिपुर और अन्य राज्यों में विपक्षी पार्टी तोड़कर विस्तार की प्रवृति है उसका सबसे ज्यादा नुकसान खुद बीजेपी को हो रहा है। आलम यह है कि भाजपा शासित राज्यों में भाजपा और संघ के लिए दरी बिछाने वाले और मोदी मोदी कहकर रोने वाले भक्तों के हिस्से में महज ठेंगा आया है।

यूपी में एक राज्यमंत्री बताते हैं कि योगी को पूर्व सपाई, बसपाई नेता घेरे रहते हैं। संघ से आये लोगों के लिए उनके पास समय नहीं है, आलम यह है कि आज सीतापुर में कारागार राज्यमंत्री को धरने पर बैठना पड़ गया। यही हाल दिल्ली में है। मोदी और शाह संघ के कार्यकर्ताओं को हाथ नहीं रखने देते गडकरी, राजनाथ का हाल तो सब देख ही रहे हैं। अब देखना यह है कि कब बीजेपी में शामिल विपक्षियों को लेकर सुलग रही चिंगारी आग बनती है।

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