भारत-चीन सीमा पर काफी तनावपूर्ण माहौल है। चीन द्वारा की गई गोलीबारी में कई भारतीय सैनिक शहीद हो गए। चीन गलवान घाटी पर पूर्ण रूप से कब्जा करने की कोशिश कर रहा है। इस मुद्दे पर रक्षा मंत्री के घर पर एक बैठक भी हुई जिसमें तीनों सेनाओं के अध्ययन शामिल हुए। बैठक के बाद सेना को पूरी छूट दे दी गई है।
सैनिकों की सुरक्षा को लेकर अक्सर सवाल उठते हैं जिनमें उनके कपड़े और हथियार को भी शामिल किया जाता है। अब भारत ने सैनिकों को बुलेटप्रूफ जैकेट-प्रोटेक्टिव गियर उपलब्ध कराया है। इन जैकेट को लेकर कुछ लोगों ने सवाल उठा दिए कि यह पूरी तरह से भारत के द्वारा नहीं बनाई गई है।
दरअसल अभी भी भारत रक्षा से जुड़े उपकरण के लिए चीन से आयात किये गए कच्चे माल पर ही निर्भर है। इस निर्भरता को बदलने की बात चल रही है।
भारत ने चीन से झड़प के बाद करीब 2 लाख बुलेटप्रूफ जैकेट्स और प्रोटेक्टिव गियर बनाने का काम सौंप दिया है जिससे लद्दाख में हमारी सेना के पास किसी चीज की कमी न आये।
अब इन्हीं इक्विपमेंट को बनाने वाले सामान को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। दरअसल इसमें जो कच्चा माल इस्तेमाल होगा वह चीन से ही आयातित होगा। अभी भी ज्यादातर माल चीन से ही मंगाया जाता है।
ज्यादातर डिफेंस उत्पाद चीनी सामानों पर ही निर्भर हैं या मजबूरी में उनका प्रयोग करना पड़ता है। 2017 में जब एक कंपनी को रक्षा उपकरण बनाने का ठेका दिया गया था उसने भी चीनी आयातित माल का ही प्रयोग किया था। यह कंपनी कुछ ही समय में डिफेंस उत्पाद सेना को सौंप देगी।
उस समय राजनाथ सिंह ने कहा था कि चीनी कच्चे माल पर कोई रोक नहीं है। अब क्या सरकार इस पर कोई ठोस निर्णय ले पाएगी? या अभी भी आर्थिक स्थिति को देख कर ही निर्णय लिया जाएगा?
यह भी पढ़ें: चीन ने बांग्लादेश की 97 फीसदी वस्तुओं को दी टैक्स में भारी छूट
नीति आयोग के सदस्य और डीआरडीओ के पूर्व प्रमुख वीके सारस्वत ने इस मामले को लेकर दोबारा विचार करने का भरोसा दिया है। सरस्वत ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि साल भर पहले हमने चीनी कच्चे माल के आयात को कम करने की कोशिश की।
उन्होंने कहा, ‘हमें टेलीकॉम और प्रोटेक्टिव गियर से जुड़े कूटनीतिक क्षेत्रों में चीन के कच्चे माल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।’