क्या हम यह भूल गए हैं कि आजादी की लड़ाई में नेहरू 3259 दिन जेल में रहे थे और 9 बार जेल गए थे?

 BY- सलमान अली

जब दूसरी बार 1922 में नेहरू को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था तब उन्होंने कहा था, ‘भारत को आजाद कराने की इस लड़ाई में शामिल होना सम्मान की बात है. महात्मा गांधी के नेतृत्व में काम करना दोहरे गर्व की बात है. अपने प्यारे देश के लिए तकलीफ उठाने से अच्छा क्या होगा.

हम भारतीयों के लिए इससे ज्यादा भाग्य की बात और क्या हो सकती है कि या तो अपने देश के लिए संघर्ष करते हुए मर जाएं या फिर हमारा ये सपना पूरा हो जाए.’

वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को लेकर कई टिप्पणियां की गई हैं। जिनमें कुछ तो ऐसी हैं जो वास्तविकता से बहुत दूर हैं। ऐसा माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है जैसे जवाहरलाल नेहरू ने देश के लिए जो कुछ भी किया वह सब गकत था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा बीजेपी के नेता व आईटी सेल ने पंडित नेहरू को लेकर लगातार अफवाह फैलाने का काम किया है। कभी वह भगत सिंह को जोड़कर अफवाह फैलाते हैं तो कभी सुभाष चंद्र बोस व अन्य को जोड़कर।

वह यह भूल जाते हैं कि भारत की आज़ादी में सभी ने कुर्बानी दी है। गांधी जी का रास्ता अलग था, सुभाष चंद्र बोस का अलग लेकिन लक्ष्य एक। वर्तमान में राजनैतिक दलों द्वारा वोट बैंक के लिए आज़ादी के नायकों को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है।

हकीकत यह थी कि भले ही सुभाष चंद्र या भगत सिंह और आज़ाद का रास्ता अलग हो लेकिन वह गांधी का बड़ा सम्मान करते थे। विचारों में समानता भले न हो लेकिन व्यक्तिगत सौहार्द कहीं ज्यादा था।

इस समय के नेता इतिहास को ही बदल कर नया आयाम तैयार करना चाहते हैं। जब आज़ादी में आरएसएस का कोई रोल ही नहीं था तो फिर आज क्यों यह साबित करने का प्रयास किया जा रहा है कि आरएसएस ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी।

नेहरू जी को लेकर तरह-तरह की अफवाहें फैल चुकी हैं। कल तक जो भारत के सबसे अच्छे प्रधानमंत्री के रूप में पहचाने जाते थे वह आज कहीं गुम से होते जा रहे हैं।

जिन्होंने आज़ादी में अपना जरा सा भी योगदान नहीं दिया वह भी पूर्व प्रधानमंत्री की भूमिका पर सवाल उठा देते हैं। शायद उन्होंने न तो इतिहास ही पढ़ा है और न ही नेहरू जी द्वारा लिखी किसी किताब को।

वह आईटी सेल के द्वारा फोटोशॉप के जाल में फंसे हुए हैं। निकलने का एक ही रास्ता है सही जानकारी। अब चाहे वह स्वयं से किताब खरीदकर पढ़ें या फिर किसी ऑनलाइन आर्टिकल से।

नेहरू ने आज़ाद होने के बाद गरीबी आउट बेरोजगारी पर जो बात कही थी वह आज भी नरेंद्र मोदी नहीं कह पा रहे हैं। दोनों लोगों के भाषण में काफी अंतर है। जहां नेहरू के भाषण में भारत का ड्रीम होता था वहीं नरेंद्र मोदी के भाषण में सरकार की उपलब्धियों को गिनाने का अवसर भर।

नेहरू जी को लेकर यह भी अफवाह फैलाई जाती है कि उनके कपड़े धुलने इंग्लैंड जाते थे जबकि हकीकत कुछ और है। आपको यह भी पता होना चाहिए कि नेहरू जी इलाहाबाद के जिस घर में पैदा हुए थे वह उस जमाने का सबसे रईस घर था।

यदि नेहरू जी चाहते तो विदेश में पढ़ाई करके वहीं बस जाते वह कभी न भारत आकर जिंदगी दांव पर लगा कर आज़ादी के लिए लड़ते। उनके अंदर शायद हमसे ज्यादा देशभक्ति थी तभी वह मीलों पैदल चलकर भारत की आज़ादी की लड़ाई को आगे बढ़ाया।

जब देश आजाद हुआ तो दुनिया दो गुटों में बंटी हुई थी। एक अमेरिका और दूसरा सोवियत संघ का गुट। भारत के पास इन दोनों में से एक में शामिल होने के विकल्प थे। लेकिन पंडित नेहरू की दूरदर्शी सोच का परिणाम था कि उन्होंने एक गुटनिरपेक्ष जैसे विकल्प को ले आये।

जिनको अभी जल्द ही आज़ादी मिली थी वह फिर से रूस या अमेरिका के गुट में शामिल होकर कैद होने वाले थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पंडित नेहरू की इस गुटनिरपेक्षता के कारण भारत आज गर्व से कहता है कि वह एक संप्रभु राष्ट्र है।

नेहरू की जेल यात्राएं:

नेहरू बैरिस्टर थे और परिवार खूब अमीर था यह तो आप जानते ही हैं। लेकिन नेहरू जी इसके बावजूद कितने साल जेल में रहे यह भी मालूम होना चाहिए।

पंडित नेहरू 1922 से लेकर 1945 तक कुल नौ बार जेल गए। 1922 में पहली बार वह लखनऊ की जेल में बंद किये गए तब उन्होंने कुल 88 दिन जेल में बिताए थे। एक बार में सबसे ज्यादा उन्होंने 1,041 दिन जेल में बिताये और सबसे कम 12 दिन।

इलाहाबाद की नैनी जेल में जब नेहरू को बंद किया गया था तब उन्होंने कहा था, ‘आजादी-गुलामी और सच-झूठ के बीच कोई समझौता नहीं हो सकता है. हमें ये मालूम चल चुका है कि खून बहाकर और तकलीफें सहकर ही आजादी हासिल होगी. देश की आजादी के इस महान संघर्ष में सेवा करना मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी है.

मैं प्रार्थना करता हूं कि मेरे देश के लोग बिना थके ये संघर्ष जारी रखेंगे. तब तक, जब तक कि हमें कामयाबी नहीं मिल जाती. जब तक कि हमें अपने सपनों का भारत नहीं मिल जाता है. आजाद भारत जिंदाबाद.’

 

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