BY – FIRE TIMES TEAM
इस कोरोना काल में लॉकडाउन का चौथा चरण भी खत्म होने को है। लेकिन कोरोना कम होने के बजाय अपना प़ांव पसारता ही जा रहा है। शुक्रवार को कोरोना वायरस ने महाराष्ट्र में 24 घण्टे में 116 लोगों की जान ले ली, जबकि 2689 नए केस भी मिले।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार प्रदेश में कुल केस 62,228 हो गए हैं, जिनमें 2,098 की मौत भी हो चुकी है। अगर देश की बात करें तो कुल केस 1,73,310 हो चुके हैं और मरने वालों की संख्या 4,974 हो गई है।
लॉकडाउन के दो महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी कोरोना का ग्राफ बढ़ रहा है। ऐसे में सभी के दिमाग में ये प्रश्न जरूर उठता होगा कि एक कोरोना मरीज कितने लोगों को संक्रमित कर रहा है।
इसी सवाल के जवाब के सम्बन्ध में चेन्नई के इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमेटिकल साइंस के प्रोफेसर ने एक शोध किया। प्रोफेसर सीताभ्र सिन्हा के अनुसार लॉकडाउन से संक्रमण दर में कमी आई है। प्रोफेसर सिन्हा ने कोरोना संक्रमण फैलने की दर को रिप्रोडक्शन रेट या (R0 or R-naught) से सम्बोधित किया है।
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भारत में 4 मार्च से 11 अप्रैल के बीच औसत इफेक्टिव रिप्रोडक्शन रेट (एक कोविड-19 मरीज से अन्य लोगों में कोरोना फैलने की दर) 1.83 थी। 13 अप्रैल और 4 मई के बीच 1.29 तथा 16 मई से 25 मई के बीच 1.23 थी। मान लीजिए यदि 25 व्यक्ति 4 मार्च से 11 अप्रैल के बीच कोविड-19 के मरीज थे तो उन्होंने करीब 45 लोगों को संक्रमित किया होगा।
भारत के साथ राज्यवार कोरोना के रिप्रोडक्शन रेट –
कैसे पता चलता है रिप्रोडक्शन रेट का: इसे पता करने के कइ तरीके हैं। इनमें से एक तरीका संक्रिय संक्रमितों की संख्या कितने समय में दुगनी हो रही है, इससे पता करते हैं। और जो प्रोफेसर सिन्हा ने तरीका अपनाया है वह सक्रिय केस के चरघातांकीय बढ़त को देखते हुए गणना किया गया है।
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