BY – FIRE TIMES TEAM
महिलाओं के खिलाफ बढ़ते आपराधिक मामलों को देखते हुए गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए एडवाइजरी जारी की है। मंत्रालय ने इस एडवायजरी के तहत महिला अपराधों के मामलों में कार्यवाई सुनिश्चित करने को कहा है।
केन्द्र सरकार ने यह कदम उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक 19 साल की दलित लड़की के साथ कथित तौर पर गैंगरेप और हत्या के मामले में पुलिस की शिथिलता और कार्यशैली को लेकर उठे सवाल के बाद उठाया है। यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में छाया रहा।
इस एडवायजरी के माध्यम से केन्द्र सरकार यह दिखाना चाहती है कि वह महिला सुरक्षा के प्रति कितनी गंभीर है। क्योंकि हाथरस कांड के बाद से राज्य सरकार और केन्द्र सरकार दोनों पर सवाल खड़े किये जा रहे थे।
इस नये परामर्श में केन्द्र सरकार ने राज्यों से कहा कि महिलाओं के प्रति अपराध के मामले में थाने की कार्यवाई अनिवार्य कर दी जाए। इस तरह के मामलों में सही तरह से काम करने और लापरवाही न बरतने का दिशा-निर्देश दिया गया है।
केन्द्र ने कहा कि महिलाओं के साथ होने वाले आपराधिक मामलों में राज्यों की पुलिस के द्वारा नियमों का सही अनुपालन न किये जाने से उन्हें न्याय नहीं मिल पाता। केन्द्रीय मंत्रालय ने इस सम्बन्ध में तीन पन्नों का विस्तृत परामर्श जारी किया है।
Ministry of Home Affairs issues advisory to States and Union Territories for ensuring mandatory action by police in cases of crime against women. pic.twitter.com/dx1sQmzXLW
— ANI (@ANI) October 10, 2020
क्या कहा गया है एडवायजरी में ?
- संज्ञेय अपराध के मामलों में अनिवार्य रूप से एफआईआर दर्ज की जाए, यदि अपराध थाने की सीमा से बाहर हुआ हो तो ऐसी स्थिति में जीरो एफआईआर दर्ज करने की व्यवस्था की गई है।
- यदि आईपीसी की धारा 166 A(c) के तहत एफआईआर दर्ज नहीं की जाती है तो सम्बन्धित कर्मचारी/अधिकारी के लिए सजा का भी प्रावधान है।
- सीआरपीसी का सेक्शन 173 रेप के मामलों में दो महीने के अंदर जांच पूरी करने की बात करता है। इस सिलसिले में गृह मंत्रालय ने एक ऑनलाइन पोर्टल भी बनाया है जहां ऐसे मामलों को ट्रैक किया जा सकता है।
- यौन हमले/रेप पीड़िता का परीक्षण 24 घंटे के भीतर सहमति से किसी रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर से कराया जाना चाहिए।
- मृतका का लिखित या मौखिक बयान साक्ष्य के तौर पर लिया जायेगा।
- यौन हमलों के मामलों में फोरेंसिक साक्ष्य इकट्ठा करने के सम्बन्ध में गृह मंत्रालय ने गाइडलाइंस जारी की हैं। ऐसे मामलों की जांच के लिए पुलिस को एसएईसी ( सेक्शुअल असॉल्ट एविडेंस कलेक्शन ) किट्स दी गईं हैं।
- कानूनी तौर पर सख्त प्रावधानों और कैपेसिटी बढ़ाने के उपायों के बावजूद पुलिस की ओर से अगर इन अनिवार्य आवश्यकताओं का पालन नहीं किया जाता है तो यह देश मेंं आपराधिक न्याय को प्रभावित कर सकता है। यदि ऐसी खामियां पाई जाती हैं तो इनकी जांच होनी चाहिए और इनके लिए जिम्मेदार सम्बन्धित अधिकारियों के खिलाफ तत्काल सख्त कार्यवाई की जानी चाहिए।
- राज्य और सभी केन्द्र शासित प्रदेश संबंधित अधिकारियों को इस दिशा में जरूरी दिशानिर्देश जारी कर सकते हैं ताकि इन नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जा सके।
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