BY- BIPUL KUMAR
झारखंड में जो कुछ हो रहा है, उसके पीछे भाजपा नहीं, बल्कि हेमंत सोरेन का परिवार है। हेमंत सोरेन के अयोग्य घोषित होने के बाद, वह अपनी पत्नी को वहां का सीएम बनाना चाहते हैं. जिसके लिए न तो हेमंत का छोटा भाई बसंत सोरेन राजी हैं और न ही हेमंत की विधवा भाभी सीता सोरेन!
हेमंत के पास दूसरा विकल्प है। अपनी मां को सीएम बनाना, ऐसे में बसंत सोरेन राजी हो जाते! लेकिन हेमंत की भाभी व जामा से झामुमो विधायक सीता सोरेन इसके लिए राजी नहीं होगी। हेमंत मां और बीबी में से किसी एक को भी सीएम बनाते हैं, तो विद्रोह की आशंका है. झारखंड में बसंत सोरेन और सीता सोरेन, दोनों का खेमा है और दोनों खेमें में आधे-आधे दर्जन के करीब विधायक हैं।
सीबू सोरेन की उम्र, इतनी नहीं है कि वह सीएम बने! ऐसे में हेमंत सोरेन को किसी अन्य विधायक को मुख्यमंत्री बनाए अथवा विधायकी से इस्तीफा देकर, दोबारा सीएम पद की शपथ लेकर, छह महीने में फिर से चुनाव लड़े।
झारखंड में बड़ी संख्या में लोग, हेमंत सरकार के खिलाफ हैं और विपक्ष में मजबूत बीजेपी है. ऐसे में, हेमंत सोरेन चुनाव लड़ने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं।
क्योंकि एक हार, उन्हें राजनीति से बेदखल करने के लिए काफी है। साथ ही, यदि दूसरे को झारखंड का सीएम बनाते हैं, तो फिर प्रदेश में सोरेन परिवार का दबदबा कम होने की संभावना है। झामुमो की भी वही स्थिति है, जैसी कि बिहार में राजद की। यदि किसी दूसरे विधायक को मुख्यमंत्री बनाया गया, तो हेमंत को अन्य विधायकों की भी नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। इस स्थिति का लाभ उठाने के लिए, भाजपा पहले से ही तैयार है।
कुल मिलाकर देखा जाए, तो महाभारत वाली स्थिति झारखंड की राजनीति में बनी हुई है। साथ ही, कांग्रेस के कई विधायक संगठन और गठबंधन की सरकार से दुखी हैं. झामुमो की यह आपदा, भाजपा के लिए किसी अवसर से कम नहीं है।
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