लोकतंत्र में सकारात्मक आलोचना करना जायज है चाहे वह सरकारी की हो या सरकार में बैठे सत्ताधारी नेताओं की है। लेकिन यह महज किताबों में ही सही दिखाई पड़ता है असल में आलोचक के ऊपर मुकदमा तक हो जाता है, उसे नौकरी से निकाल भी दिया जाता है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक गुजरात के एक शिक्षक को इसलिए निलंबित कर दिया गया क्योंकि उसने फेसबुक पर प्रधानमंत्री और वर्तमान केंद्र सरकार की आलोचना की थी। मामला राज्य के मोरबी जिले का है।
मोरबी जिले के एक प्राथमिक स्कूल के सहायक शिक्षक को उसकी फेसबुक पोस्ट के लिए निलंबित कर दिया गया जिसमें उसने प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। शिक्षक का नाम जिग्नेश वधेर है।
मोरबी जिले के प्राथमिक शिक्षा अधिकारी ने आदेश जारी कर वधेर को निलंबित कर दिया। अधिकारी ने उन्हें पास के वांकानेर तालुका में स्थानांतरित कर दिया।
अधिकारी ने अपने आदेश में कहा, ” सवालों के घेरे में आये शिक्षक मोरबी जिला शिक्षा समिति द्वारा संचालित श्री नवा धुनवा सरकारी प्राथमिक स्कूल के कर्मचारी हैं।”
उन्होंने आदेश में कहा कि वक्त कर्मचारी ने सोशल मीडिया में अप्रत्याशित पोस्ट किया था और कर्मचारियों के लिए बने आदर्श आचार संहिता का पालन करने में विफल रहे।
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