हम 21वीं शदी में जी रहे हैं दुनिया के लिए विश्व गुरु बनने की बात कहते हैं लेकिन अपने ही देश की स्थिति को नहीं सुधार पा रहे हैं। भले ही हम समानता की बात करते हों लेकिन अभी भी हमारे देश में जाति व धर्म के नाम लोगों के साथ भेदभाव किया जाता है।
ताजा मामला गुजरात से आया है जहां एक दलित मां-बेटे को इसलिए मारा गया क्योंकि उन्होंने मरी हुई गाय नहीं उठाई। यह घटना गुजरात के गांधीनगर जिले के मानसा तालुके के एक गांव की है।
महिला की उम्र 55 व उसके पुत्र की उम्र 25 साल की है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार घटना तीन अगस्त की है और पीड़ितोंद्वारा 4 अगस्त को केस दर्ज कराया गया है।
आरोपी सुरेश सिंह चावड़ा के ऊपर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। लेकिन पुलिस की गिरफ्तारी से पहले ही उसे जमानत मिल गई।
पीड़ित रंजन परमार ने बताया कि चावड़ा नशे की हालत में उनके घर आया और जातिसूचक गालियां देकर मारपीट करने लगा। पड़ोसियों ने दखल देकर हमें बचाया।
चावड़ा के खिलाफ एससी/एसटी अधिनियम और आईपीसी की धारा 323(जानबूझकर किसी व्यक्ति को चोट पहुंचाना या मारपीट करना), धारा 504(आपराधिक षडयंत्र), धारा 506 के तहत मामला दर्ज किया गया है।