उत्तर प्रदेश में पिछले पंचायत चुनाव 2015 में हुए थे जिसका कार्यकाल 25 दिसंबर को खत्म हो रहा है। चुनाव लड़ने के लिए लोग अभी से तैयारी करना शुरू कर दिया है। चार महीने के लिए फिलहाल चुनाव टाल दिया गया है।
कोरोना संकट के कारण राज्य निर्वाचन आयोग अभी चुनाव कराने की तैयारी में नहीं है। वोटर लिस्ट के अलावा अन्य कार्य हैं जो अभी करने हैं और इसके लिए कम से कम 6 महीने का समय होना चाहिए।
चुनाव आयोग अगले साल फरवरी से मई महीने तक कराने में सक्षम होगा। कुछ मंत्री इसके पक्ष में भी हैं और अधिकारियों ने संकेत भी दे दिए हैं। अब यह चुनाव अप्रैल में तय माना जा रहा है।
खबर अब यह भी आ रही है कि योगी सरकार पंचायत चुनाव लड़ने के लिए दो बच्चे और 12वीं परीक्षा का क्राइटेरिया रख सकती है। कुछ लोग 8वीं पास की योग्यता के पक्ष में हैं। यदि ऐसा होता है तो जिनके दो बच्चों से ज्यादा हैं और जो लोग 8वीं तक नहीं पढ़ें हैं वह पंचायत चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
प्रदेश के पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस मामले में सुझाव दे चुके हैं। वहीं केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान ने 11 जुलाई को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर दो से ज्यादा बच्चों वालों के पंचातीराज चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की थी।
इन सभी पहलुओं पर अंतिम फैसला सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे। इसके लिए पंचायती राज के कई प्रावधानों में संशोधन भी लाया जा सकता है।
लोगों का मानना है कि यदि ऐसा होगा तो जनसंख्या नियंत्रण कानून के लिए यह एक संकेत होगा। वहीं इससे लोग जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रोत्साहित भी होंगे।
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दो बच्चों वाली व्यवस्था कई राज्यों में है भी। इनमें हरियाणा, राजस्थान जैसे राज्य शामिल हैं। अब देखना होगा कि उत्तर प्रदेश में यह लागू हो पायेगा या नहीं।
उत्तर प्रदेश की राजनीतिक व्यवस्था को देखते हुए सब कुछ आसान नहीं है। 2022 में यहां विधानसभा चुनाव भी होने हैं और ऐसे में योगी सरकार कोई विरोध नहीं चाहेगी।
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