BY- FIRE TIMES TEAM
पीएम नेशनल रिलीफ फंड और पीएम केयर फंड की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की गई है।
हाईकोर्ट के दो प्रैक्टिस वकील दिव्य पाल सिंह और अनुभव सिंह ने याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि पीएमएनआरएफ और पीएम केयर्स किसी भी कानून द्वारा समर्थित नहीं होने के कारण असंवैधानिक और शून्य हैं।
फण्ड (एनडीआरएफ) को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (डीएमए) की धारा 46 के तहत केंद्र सरकार द्वारा गठित किया गया था।
उन्होंने इस तरह से मांग की है कि पीएमएनआरएफ और पीएम केयर्स फंड में जो धन / निधियां हैं उनको एनडीआरएफ को हस्तांतरित / जमा किया जाए।
याचिकाकर्ताओं ने प्रस्तुत किया कि सरकार के पास संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत समवर्ती सूची की प्रविष्टि 10 के अनुसार, एक ट्रस्ट बनाने का अधिकार नहीं है।
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याचिकाकर्ता ने दावा किया कि एनडीआरएफ CAG द्वारा ऑडिट किया जाता है और सूचना के अधिकार अधिनियम के अधीन है, और इसलिए यह पीएम केयर्स फंड की तुलना में अधिक पारदर्शी है।
याचिका में कहा गया, “एनडीआरएफ का भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा ऑडिट किया जाता है; इसका दुरुपयोग 2005 के अधिनियम के तहत एक अपराध और दंडनीय है।”
एनडीआरएफ अधिक पारदर्शी है क्योंकि यह वार्षिक रिपोर्ट के अधीन है, इसकी वार्षिक गतिविधियों की रिपोर्ट संसद में आरटीआई के तहत पूर्ण रूप से सार्वजनिक हैं लेकिन ट्रस्ट इस तरह की चीजों के अंदर नहीं आते हैं और अपारदर्शी, अलोकतांत्रिक होते हैं। ट्रस्ट आरटीआई अधिनियम के तहत नहीं आते हैं इसलिये उनकी जानकारी सार्वजनिक नहीं कि जा सकती है।
याचिकाकर्ता ने इसके विकल्प के रूप में कहा कि पीएम केयर्स फण्ड के खातों के ऑडिट सीधे तौर पर सीएजी द्वारा किया जाए और इसके खातों संगीत गतिविधियों और व्यय के विवरण के साथ-साथ पीएम केयर्स फण्ड के ट्रस्ट डीड को नियमित रूप से सरकारी वेबसाइट पर पब्लिश किया जाए।