उत्तर प्रदेश का गोरखपुर वर्तमान मुख्यमंत्री का गृह जनपद है। जब वह मुख्यमंत्री बने तब इस शहर से ज्यादा शायद ही कोई खुश हुआ हो। लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर में ही जब 66 बच्चों ने दम तोड़ दिया महज इसलिए कि ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो सकी तो सबको अखर गया।
आज पूरे तीन साल हो गए हैं उस घटना को लेकर जब दो दिन में 66 बच्चों ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। तीन साल बाद भी कई सवाल अभी भी हैं जिनका जवाब नहीं मिला है।
पहला सवाल डॉक्टर कफील खान से संबंधित है जो अभी भी जेल में हैं। दूसरा सवाल सत्ता से है जो उस समय नाकाम साबित हुई थी। तीसरा सवाल जनता से है जो स्वास्थ्य को लेकर शांत बैठ गई है।
पूरा देश इस घटना के बाद हिल गया था लेकिन अभी भी पूरा सच जनता के पास नहीं पहुंचा है। पुलिस की जांच होने के बावजूद अब यह मामला कोर्ट में है। डॉक्टर कफील खान के अलावा किसी अन्य ने इस मामले पर अपना मुंह नहीं खोला है।
गोरखपुर की इस घटना को लेकर कुल नौ लोगों को आरोपी बनाया गया था। डॉक कफील खान के अलावा अन्य लोग भी जमानत पर छूट गए थे। मामले में कई लोग बहाल होकर रिटायर भी गए। लेकिन बाद में एक भाषण को लेकर डॉ. कफील के ऊपर राशुका लगा दी गई और वह अब भी जेल में हैं।
ऑक्सीजन सप्लाई जिस कंपनी से हो रही थी वह भी वैसे ही काम कर रही है। अप्रैल 2020 में पुष्पा सेल्स लिमिटेड को दो चिकित्सा संस्थानों में गैस पाइप लाइन का काम भी मिला था। मीडिया में मामला सामने आने के बाद टेंडर निरस्त करने की बात कही गई लेकिन उसका क्या हुआ यह अभी जांच में ही चल रहा है।
कुल मिलाकर गोरखपुर कांड की न तो अभी तक सही से जांच हो पाई है और न ही लग रहा है इतनी जल्दी कुछ होने वाला है।