BY – FIRE TIMES TEAM
अटल सरकार में मंत्री रहे जसवंत सिंह का रविवार को निधन हो गया। 82 वर्षीय जसवंत लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे। यह वही पूर्व केन्द्रीय मंत्री हैं, जो भारत और पाकिस्तान को सिजेरियन प्रसव से पैदा हुए जुड़वा बच्चे माना करते थे। इसी साल उनके सिर में चोट लगी थी। जिसके बाद से वे कोमा में थे।
उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि वे राजनीति और समाज को लेकर अपने अलग तरह के नजरिए के लिए हमेशा याद किये जायेंगे। भाजपा को मजबूत करने में उनका खासा योगदान था। मैं उनके साथ हुई चर्चाओं को हमेशा याद रखूंगा। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।
Jaswant Singh Ji will be remembered for his unique perspective on matters of politics and society. He also contributed to the strengthening of the BJP. I will always remember our interactions. Condolences to his family and supporters. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 27, 2020
राजस्थान के बाड़मेर में 3 जनवरी, 1938 को जन्में जसवंत सिंह राजपूत परिवार से ताल्लुक रखते थे। उन्होंने अजमेर के मायो कॉलेज से बीए, बीएससी के अलांवा भारतीय सैन्य अकादमी (देहरादून) से सैन्य ट्रेनिंग हासिल की। और महज 15 बरस की उम्र में वे भारतीय सेना में चले गये थे।
1960 के दशक में वे सेना के अफसर बने और 1980 में राजनीति के दरवाजे से राज्यसभा पहुंचे। वे अटल सरकार में वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री भी रहे। उनकी सबसे जुदा विचारधारा के कारण एक बार उन्हें बीजेपी से निकाला गया और वापसी भी हुई। और एक बार खुद ही पार्टी से अलग हो गये।
1999 में प्लेन हाईजैक को छुड़ाने में उनका अहम योगदान था। दरअसल, 24 दिसम्बर, 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट नंबर IC-814 को हाईजैक करके अफगानिस्तान के कंधहार ले जाया गया था। यात्रियों को बचाने के लिए भारत सरकार को तीन आतंकी छोड़ने पड़े थे।
जिन आतंकियों को छोड़ा गया था उनमें मुश्ताक अहमद जरगर, अहमद उमर सईद शेख और मौलाना मसूद अजहर शामिल थे। इन आतंकियों को लेकर जसवंत सिंह ही कंधार गये थे।
1998 में परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका के द्वारा भारत पर लगाये गये प्रतिबन्ध के बाद जसवंत सिंह ने ही अमेरिका से बातचीत की थी। इसके अलांवा 1999 के कारगिल युद्ध में भी जसवंत का अहम योगदान था।