BY- FIRE TIMES TEAM
गोरखपुर के डॉ कफील खान योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ अपनी लड़ाई को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले आए हैं।
कफील खान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UNHRC) को एक पत्र लिखकर उन्हें अंतर्राष्ट्रीय मानव सुरक्षा मानकों के व्यापक उल्लंघन के बारे में सूचित किया और बताया कि भारत में असहमति की आवाज़ को दबाने के लिए NSA और UAPA जैसे ड्रैकियन कानूनों का किस तरह दुरुपयोग किया जा रहा है।
खान ने अपने पत्र में संयुक्त राष्ट्र के अधिकार निकाय को “शांतिपूर्ण तरीके से सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन” के लिए गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ताओं के मानवाधिकारों की रक्षा करने के लिए भारत सरकार से आग्रह करने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि सरकार ने “उनकी अपील नहीं सुनी” है।
जेल में अपने दिनों के बारे में बताते हुए खान ने लिखा, “मुझे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया और कई दिनों तक भोजन और पानी भी नहीं दिया गया था।”
उन्होंने लिखा, “भीड़भाड़ वाली मथुरा जेल में कैद की मेरी 7 महीनों की अवधि के दौरान अमानवीय व्यवहार किया गया। सौभाग्य से, मेरे ऊपर लगे एनएसए और 3 केस को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया।”
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उन्होंने 10 अगस्त, 2017 को बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में गोरखपुर त्रासदी का भी जिक्र किया, जिसमें ऑक्सीजन की कमी के कारण कई बच्चों की जान चली गई थी।
उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से 25 अप्रैल, 2018 के अपने आदेश में कहा था कि “कफील खान के खिलाफ चिकित्सा लापरवाही का कोई सबूत नहीं मिला है और वह ऑक्सीजन टेंडरिंग प्रक्रिया में भी शामिल नहीं थे।”
इसके बाद से खान को नौकरी से निलंबित कर दिया गया था, लेकिन राज्य सेवाओं से नहीं निकला गया।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आठ अलग-अलग जांच की गईं थीं जिनमे कफील खान को निर्दोष पाया गया था। फिलहाल उनका निलंबन अभी रद्द नहीं किया गया है।
To
The United Nations Human Rights Experts@UNHumanRights
Office of the high commissioner
GenevaThank you all for urging our Indian government to immediately release human rights defenders who have been arrested for peacefully protesting against CAA/NRC pic.twitter.com/y11U3F9KJq
— Dr Kafeel Khan (@drkafeelkhan) September 19, 2020
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