गोरखपुर का ऑक्सीजन कांड अभी भी लोग नहीं भूले हैं। इससे जुड़े लगभग सभी लोगों को क्लीन चिट मिल चुकी है। सबसे अधिक नाम जो चर्चा में रहा वह डॉक्टर कफील खान।
कफील खान ऑक्सीजन कांड के बाद ज्यादातर जेल में ही रहे हैं। अभी भी वह जेल में ही हैं और उनके ऊपर लगी रासुका को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया है।
अब खबर यह आ रही है कि ट्विटर ने उनका अकॉउंट सस्पेंड कर दिया है। अभी उनका अकॉउंट उनके परिवार के लोग हैंडल कर रहे थे। इस सोशल मीडिया के माध्यम से कफील की रिहाई का मुद्दा उठाया जाता था जो शायद वर्तमान सरकार को अच्छा नहीं लगा।
डॉक्टर कफील खान का एक फेसबुक पेज है जहां ट्विटर अकाउंट के सस्पेंड होने की जानकारी दी गई है। फेसबुक पेज पर दो दो फ़ोटो डाली गई हैं।


आप देख सकते हैं कि ऊपर की दोनों फ़ोटो में अकॉउंट को कुछ समय के लिए रिस्ट्रिक्ट कर दिया गया है। अब यह सवाल ट्विटर से भी है और उन लोगों से जिन्होंने कफील के अकॉउंट को बंद कराने का प्रयास कर रहे हैं।
क्या जायज तरीके से कोई मुद्दा नहीं उठा सकता? क्या यह अभिव्यक्ति पर प्रहार नहीं है? क्या भारतीय जनता पार्टी यहां लोकतंत्र की दुहाई देगी? क्या यह तानाशाही का एक रूप नहीं है?
सवाल ट्विटर से भी है कि उसने अपनी निष्पक्षता कहाँ तक बनाई है? क्या वह इन मुद्दों पर किसी के दबाव में काम करता है? या फिर ट्विटर जिसकी सरकार होती है उसी के अनुसार काम करता है?
ऐसे और भी सवाल हैं जिनके उत्तर आपको भी ढूंढने चाहिए। यदि आप एक लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाये रखना चाहते हैं तो सवाल करना प्रारंभ करिए। प्रत्येक सरकार यही चाहती है कि उससे कम से कम सवाल किए जाएं। गोदी मीडिया के इस दौर में सोशल मीडिया ही ऐसा माध्यम है जहां सरकार से सवाल किए जा रहे हैं और अब यह भी दबाव में है।