BY – FIRE TIMES TEAM
जम्मू-कश्मीर को केन्द्र शासित प्रदेश बनने के बाद डीडीसी और पंचायत चुनाव होने वाले हैं। इसी बीच जम्मू-कश्मीर के इतिहास में सबसे बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। यह छोटा-मोटा घोटाला नहीं 25000 करोड़ का घोटाला है।
दरअसल 5 अगस्त, 2019 को धारा 370 खत्म होने के बाद 2020 में मनोज सिन्हा को राज्य का एलजी बनाया गया। दरअसल साल 1999 से पहले जो सरकारी जमीन थी उसे गरीब तबके के लोगों को विधिपूर्वक जमीन उपलब्ध कराने के लिए 2001 में रोशनी एक्ट बनाया गया था। इसका दूसरा उपयोग पॉवर प्रोजेक्ट के लिए पैसा इकट्ठा करना था।
इस एक्ट में समय-समय पर सरकारों के बदलने से बार-2 संसोधन किया जाता रहा। जिनकी भी सरकार 2001 के बाद रही उन सब ने इस जमीन का भरपूर फायदा लिया। इन नेताओं ने खुद तो जमीनें हड़पी इसके अलावां अपने रिश्तेदारों को भी दिलवाईं।
न्यूज चैनल आजतक की एक रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर के बड़े नेताओं के अलांवा कई बिजनेसमैन और बड़े अफसर के नाम भी सामने आये हैं।
इस घोटाले में पीडीपी नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व वित्त मंत्री हसीब दरबो के भी शामिल होने की पुष्टि हुई है। इसमें उनके रिश्तेदार शहजादा बानो, एजाज हुसैन, और इफ्तिखार दरबो के नाम भी शामिल हैं।
कांग्रेस नेता के. के. अमला के नाम की पुष्टि भी इस घोटाले में हुई है। इसके अलांवा उनकी रिश्तेदार रचना अमला, वीणा अमला और फकीर चंद अमला के नाम भी शामिल हैं।
कुछ और नेता जैसे मुस्ताक अहमद चांया, मोहम्मद सफी पंडिट, मिस निघत पंडित, सैयद मुजफ्फर आगा, सैय्यद अखनून, एमवाई खान, अब्दुल मजीन वाणी, असलम गोनी, हरुन चौधरी, सुज्जैद किचलू, तनवीर किचलू भी इस घोटाले की लिस्ट में शामिल हैं।
यह सभी नेता जिन्होंने जम्मू-कश्मीर की सरकारी जमीनों को हड़पा है, उनसे वह जमीन वापस ली जायेगी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश के एलजी मनोज सिन्हा ने भी जमीन वापस लाने की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है।
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