BY- FIRE TIMES TEAM
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बुधवार को कहा कि नॉवेल कोरोनोवायरस शायद अब कभी खत्म नहीं होगा और लोगों को अब इसके साथ ही जीना सीखना होगा।
COVID -19, कोरोनोवायरस के कारण होने वाली बीमारी से दुनिया में कुल 43.47 लाख लोग संक्रमित हुए हैं और 2.97 लाख मरीजों की मौत हुई है।
माइकल रायन ने जिनेवा में एक वर्चुअल मीडिया ब्रीफिंग में कहा, “यह वायरस हमारे और हमारी कम्युनिटी के बीच एक और स्थानिक (ENDEMIC) वायरस बनके रह सकता है और शायद यह कभी खत्म नहीं होगा।”
उन्होंने कहा, “एचआईवी की बात करें तो वो भी खत्म नहीं हुआ है – लेकिन हम वायरस के मामले में जान चुके हैं … हमने उपचारों को ढूंढ लिया है और हमने रोकथाम के तरीके ढूंढ लिए हैं और लोग पहले की तरह अब डरते नहीं हैं।”
रायन ने कहा कि यह कहना अभी मुश्किल है कि कब हम वायरस पर कंट्रोल करने में सक्षम होंगे क्योंकि इस तरह का यह एक नया वायरस है जो मानव आबादी में प्रवेश हुआ है।
अधिकांश देशों ने संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लॉक डाउन के कुछ रूप लागू किए, उनमें से कुछ ने धीरे-धीरे हाल ही में लॉक डाउन को खोलना शुरू भी कर दिया है।
हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने आगाह किया है कि इस बात की गारंटी कोई नहीं है कि लॉक डाउन को कम करने से COVID -19 संक्रमणों की दूसरी लहर पैदा नहीं होगी।
WHO के आपात निदेशक ने स्वास्थ्य कर्मियों पर हुए हमलों की निंदा की, स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले के 35 से अधिक “गंभीर” मामले अप्रैल में 11 देशों में दर्ज किए गए थे।
उन्होंने कहा, “COVID -19 हमारे अंदर के सर्वश्रेष्ठ को बाहर ला रहा है, लेकिन यह सबसे बुरा भी है।”
उन्होंने कहा, “लोग उन व्यक्तियों पर अपनी कुंठा को बाहर निकालने में सशक्त महसूस करते हैं जो मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। ये हिंसा और भेदभाव के संवेदनहीन कार्य हैं जिनका विरोध किया जाना चाहिए।”
भारत में, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, पुलिस कर्मियों और COVID -19 रोगियों के अंतिम संस्कार करने का प्रयास करने वालों पर हमले हुए हैं।
28 अप्रैल को, हरियाणा के अंबाला शहर के एक गांव के निवासी पुलिस के साथ भिड़ गए और एक COVID -19 संदिग्ध के दाह संस्कार की अनुमति देने से इनकार करने पर डॉक्टरों पर पथराव किया।
22 अप्रैल को, मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में तीन लोगों ने बुधवार को एक डॉक्टर और एक पुलिसकर्मी पर हमला किया, जब वे कोरोनोवायरस संक्रमण के लिए एक मरीज की जांच के लिए गैसवानी गांव गए थे। आरोपियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किया गया है।
19 अप्रैल को, चेन्नई में एक भीड़ ने डॉक्टरों सहित एक समूह पर हमला किया, एक न्यूरोसर्जन को दफनाने के दौरान जिनका COVID -19 परीक्षण पॉजिटिव था।
भारत सरकार 22 अप्रैल को स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले करने के लिए एक अध्यादेश लाई थी।
नया कानून में छह महीने से सात साल तक की कैद के साथ पीड़ितों को मुआवज़ा भी दिलवाएगा।