छत्तीसगढ़: एमएसपी और कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ कई स्थानों पर हुए प्रदर्शन

BY- संजय पराते

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर मोदी सरकार द्वारा पारित किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन हुए।

न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था और खाद्यान्न आत्मनिर्भरता को बचाने और ग्रामीण जनता की आजीविका सुनिश्चित करने की मांग मुख्य मुद्दा बना। इसमें प्रदेश के किसानों और आदिवासियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की।

प्रदेश में इस मुद्दे पर 25 से ज्यादा संगठन एकजुट हुए हैं। कोरबा, सूरजपुर, सरगुजा, रायगढ़, कांकेर, चांपा, मरवाही सहित 20 से ज्यादा जिलों में अनेकों स्थानों पर सैकड़ों की भागीदारी वाले विरोध प्रदर्शन के कार्यक्रम आयोजित किये जाने की खबरें आ रही हैं।

इन संगठनों में छत्तीसगढ़ किसान सभा, आदिवासी एकता महासभा, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति, राजनांदगांव जिला किसान संघ, दलित-आदिवासी मंच, छग प्रदेश किसान सभा, जनजाति अधिकार मंच, छग किसान महासभा, छमुमो (मजदूर कार्यकर्ता समिति), परलकोट किसान कल्याण संघ, अखिल भारतीय किसान-खेत मजदूर संगठन, वनाधिकार संघर्ष समिति, धमतरी व आंचलिक किसान सभा, सरिया आदि संगठन प्रमुख हैं।

आंदोलन की सफलता का दावा करते हुए इन संगठनों ने आरोप लगाया कि इन कॉर्पोरेटपरस्त और कृषि विरोधी कानूनों का असली मकसद न्यूनतम समर्थन मूल्य और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की व्यवस्था से छुटकारा पाना है।

कृषि व्यापार के क्षेत्र में मंडी कानून के निष्प्रभावी होने और निजी मंडियों के खुलने से देश के किसान समर्थन मूल्य से वंचित हो जाएंगे।चूंकि ये कानून किसानों की फसल को मंडियों से बाहर समर्थन मूल्य से कम कीमत पर खरीदने की कृषि-व्यापार करने वाली कंपनियों, व्यापारियों और उनके दलालों को छूट देते हैं।

और किसी भी विवाद में किसान के कोर्ट में जाने के अधिकार पर प्रतिबंध लगाते हैं, इसलिए ये किसानों, ग्रामीण गरीबों और आम जनता की बर्बादी का कानून है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों को बनाने से मोदी सरकार की स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने और किसानों की आय दुगुनी करने की लफ्फाजी की भी कलई खुल गई है।

उल्लेखनीय है कि आज पूरे देश में किसानों और आदिवासियों के 300 से अधिक संगठनों द्वारा “न्यूनतम समर्थन मूल्य अधिकार दिवस” मनाने की घोषणा की गई थी।

इन सभी संगठनों की मांग है कि घोषित समर्थन मूल्य से कम कीमत पर फसल की खरीदी को कानूनन अपराध घोषित किया जाए, न्यूनतम समर्थन मूल्य सी-2 लागत का डेढ़ गुना घोषित करने का कानून बनाया जाए और इस मूल्य पर अनाज खरीदी करने के लिए केंद्र सरकार के बाध्य होने का कानून बनाया जाए।

यह आंदोलन संसद से भाजपा सरकार द्वारा अलोकतांत्रिक तरीके से पारित कराए गए तीन किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ चलाये जा रहे देशव्यापी अभियान की एक कड़ी था।

स्वामीनाथन कमीशन के आधार पर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के दावे को लफ्फाजी और जुमलेबाजी करार देते हुए किसान नेताओं ने कहा है कि अपने सात सालों के राज में कभी भी मोदी सरकार ने सी-2 लागत को समर्थन मूल्य का आधार नहीं बनाया है, जिसकी सिफारिश स्वामीनाथन आयोग ने की है। आज तक जो समर्थन मूल्य घोषित किये गए हैं, वह लागत तो दूर, महंगाई में हुई वृद्धि की भी भरपाई नहीं करते।

किसान नेताओं ने अपने बयान के साथ पिछले 6 वर्षों में खरीफ फसलों की कीमतों में हुई सालाना औसत वृद्धि का चार्ट भी पेश किया है, जिसके अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष खरीफ फसलों की कीमतों में मात्र 2% से 6% के बीच ही वृद्धि की गई है।

उन्होंने बताया कि इसी अवधि में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई में 10% और डीजल की कीमतों में 15% की वृद्धि हुई है और किसानों को खाद, बीज व दवाई आदि कालाबाज़ारी में दुगुनी कीमत पर खरीदना पड़ा है।

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार, धान का अनुमानित उत्पादन लागत 2100 रूपये प्रति क्विंटल बैठता है और सी-2 फार्मूले के अनुसार धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3150 रूपये प्रति क्विंटल होना चाहिए।

जबकि मोदी सरकार ने समर्थन मूल्य 1815 रूपये ही घोषित किया है. इस प्रकार, धान उत्पादक किसानों को वास्तविक समर्थन मूल्य से 1430 रूपये और 45% कम दिया जा रहा है। मोदी सरकार का यह रवैया सरासर धोखाधड़ीपूर्ण और किसानों को बर्बाद करने वाला है।

छत्तीसगढ़ में किसान संगठनों के साझे मोर्चे की ओर से विजय भाई, संजय पराते, ऋषि गुप्ता, बालसिंह, आलोक शुक्ल, सुदेश टीकम, राजिम केतवास, मनीष कुंजाम, रामा सोढ़ी, अनिल शर्मा, केशव शोरी, नरोत्तम शर्मा, रमाकांत बंजारे, आत्माराम साहू, नंदकिशोर बिस्वाल, मोहन पटेल, संतोष यादव, सुखरंजन नंदी, राकेश चौहान, विशाल वाकरे, कृष्ण कुमार लकड़ा, बिफन यादव, वनमाली प्रधान, लंबोदर साव, सुरेन्द्रलाल सिंह, पवित्र घोष, मदन पटेल द्वारा जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति।

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