नजरिया

सावित्री बाई फुले: भारत की पहली महिला शिक्षिका

BY- FIRE TIMES TEAM 1800 के दशक में, जब भारतीय समाज में महिला शिक्षा वर्जित थी, तब सावित्री बाई फुले समाज में इस बदलाव के लिए खड़ी हुईं थीं। उन्होंने, अपने पति, ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर 1848 में बालिकाओं की शिक्षा के लिए पहला स्कूल खोला। पितृसत्ता की बेड़ियों को …

Read More »

धर्म संसद के नाम पर भड़काऊ भाषण से देश की एकता पर प्रहार

BY : बादल सरोज हरिद्वार के अधर्म हिन्दुत्वी जमावड़े में जो हुआ और भिन्न तीव्रता के साथ जिसे छत्तीसगढ़ के रायपुर में हुयी ऐसी एक शोर भरी जमावट में दोहराया गया, वह आजाद भारत में अभूतपूर्व और असाधारण बात है। हरिद्वार में “उनकी जनसंख्या को हमें खत्म करना है।”, “अगर …

Read More »

किसानों ने केवल मोदी सरकार की अकड़ को ही नहीं तोड़ा, देश की जनता को संदेश भी दिया

 BY- बादल सरोज 11 दिसम्बर को सारे डेरे, तम्बू समेट कर सिंघु बॉर्डर से किसानो का आख़िरी जत्था भी नाचते-गाते अपने-अपने घरों के लिए वापस लौट गया। कोई 380 दिन के अनवरत चले पड़ाव का सुखद विजयी स्थगन जीत के उल्लास में साफ़ दिखाई दे रहा था। हठी के अहंकार …

Read More »

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले हिंदुत्व की काशी करवट मुद्दों से कितना दूर ले जाएगी

BY-बादल सरोज बनारस में पूरी धजा में था हिंदुत्व। डूबता, उड़ता, तैरता, तिरता, घंटे-घड़ियाल बजाता, शंख ध्वनियों में मुण्डी हिलाता, दीप ज्योतियों में कैमरों को निहारता, झमाझम रोशनी में भोग लगाता, खुद पर खुद ही परसादी चढ़ाता, रात-बिरात घूमता; पूरी आत्ममुग्ध धजा में था हिंदुत्व। सजा आवारा। एक दिन में …

Read More »

सपा नेताओं के यहाँ छापे के बाद भाजायकर विभाग कर दीजिए आयकर विभाग का नाम

इस बात का इंतज़ार किया ही जा रहा था कि यूपी में प्रधानमंत्री की चुनावी सभाएं शुरु हो चुकी हैं और आयकर विभाग का चुनावी छापा शुरू नहीं हुआ है। इससे एक बार फिर साबित हुआ है कि आयकर विभाग भाजपा के लिए कितना ज़रूरी है। जब हर चुनाव में …

Read More »

मुनव्वर से बरास्ते वीर दास, कुणाल तक : गहरे होते अँधेरे, मुक़ाबिल होते उजाले

BY- बादल सरोज पिछले सात साल में दो मामलों में मार्के का विकास हुआ है। एक: मोदी राज की उमर बढ़ी है, बढ़कर दूसरे कार्यकाल का भी आधा पूरा कर चुकी है। दो: रचनात्मकता को कुचल देने और सर्जनात्मकता को मार डालने की योजनाबद्ध हरकतें बढ़ते-बढ़ते एक ख़ास नीचाई तक …

Read More »

बाबासाहेब अम्बेडकर के व्यक्तित्व को छाँट-तराशकर उन्हे केवल दलितों के नेता के तौर पर स्थापित करना कितना उचित?

BY : बादल सरोज 1956 में 6 दिसंबर को नहीं रहे थे बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर। मगर कमाल का ही है उनका व्यक्तित्व और कृतित्व, जिसके चलते वे आज साढ़े छः दशक बाद भी न सिर्फ जीवंत और प्रासंगिक है, बल्कि एजेंडा निर्धारित कर कर रहे हैं। उन्हें विशेष …

Read More »

विनोद दुआ का बिना देखे गुज़र जाना भी याद है और देख कर तृप्त कर देना भी याद रहेगा: रवीश कुमार

जब आप बहुत नए होते हैं तो किसी बहुत पुराने को बहुत उम्मीद और घबराहट से देखते हैं। उसके देख लिए जाने के लिए तरसते हैं और उससे नज़रें चुराकर देखते रहते हैं। उसके जैसा होने या उससे अच्छा होने का जुनून पाल लेते हैं। वो तो नहीं हो पाते …

Read More »

गाँव बसने से पहले ही आ पहुँचे उठाईगीरे : क़ानून वापसी के साथ-साथ कानूनों की पुनर्वापसी की जाहिर की मंशा

आलेख : बादल सरोज 19 नवम्बर की भाषणजीवी प्रधानमंत्री के तीनो कानूनों को वापस लेने की मौखिक घोषणा पर कैबिनेट ने 5 दिन बाद 24 नवम्बर को मोहर लगाई और संसद में बिना कोई चर्चा कराये 29 नवम्बर को उन्हें संसद के दोनों सदनों में भी रिपील कराने का बिल …

Read More »

परीक्षा माफिया की चपेट में यूपी, क्या दरोगा भर्ती परीक्षा भी रद्द करेंगे योगी- रवीश कुमार

 BY- रवीश कुमार शिक्षक पात्रता परीक्षा टीईटी की परीक्षा के लिए 19 लाख से अधिक परीक्षार्थी घरों से निकले थे। परीक्षा शुरू नहीं हुई कि प्रश्न पत्र लीक होने और परीक्षा के ही रद्द किए जाने की ख़बरें आने लगी। इस परीक्षा को लेकर आज के अमर उजाला में पहले …

Read More »