BY – FIRE TIMES TEAM
कोरोना की महामारी के दौरान देश में पिछले 18 दिनों से पेट्रोल-डीजल के दामों में लगातार वृद्धि हो रही है। कुछ प्रदेशों में तो डीजल की कीमतें पेट्रोल से भी ज्यादा हो गई है। अगर तेल के दाम इसी रफ्तार से बढ़ते रहे तो पेट्रोल-डीजल का भाव जल्दी ही 100 रूपये को पार कर सकता है। दिल्ली में आज पेट्रोल की कीमत 79.76 रूपये और डीजल की कीमत 79.88 रूपये हो गई है।
जनता को मिलने वाले तेल की कीमतों में 50 प्रतिशत से ज्यादा का टैक्स होता है। जो कि केन्द्र व राज्य सरकार अपना रेवेन्यू बढ़ाने के लिए लगाती हैं। भारतीय तेल कम्पनियां तब से तेल की कीमतें बढ़ा रही हैं जब क्रूड ऑयल 19 डॉलर प्रति बैरल था। लेकिन अब कच्चे तेल का दाम बढ़ते हुए 40 डॉलर प्रति बैरल के आसपास आ गया है।
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तेल कैसे पहुंचता है आप तक –
कच्चा तेल आयात के बाद रिफाइनरी में आता है उसमें से पेट्रोल-डीजल और पेट्रोलियम पदार्थ निकाले जाते हैं। उसके बाद पेट्रोलियम कंपनियां अपना मुनाफा बनाकर पेट्रोल-पंप पर पेट्रोल-डीजल पहुंचाती हैं। पेट्रोल पंप मालिक अपना कमीशन लेता है और ग्राहक सरकार को इक्साइज ड्यूटी और वैट देकर तेल खरीदता है।
क्यों बढ़ रहीं हैं कीमतें –
विशेषज्ञों की मानें तो अक्टूबर 2016 के बाद पहली बार कच्चे तेल के आयात में इतनी बड़ी गिरावट देखी गई है। लॉकडाउन के बाद तेल की मांग में भारी कमी होने के कारण तेल कंपनियों के मार्जिन में भारी कमी आ गई थी। जिसे तेल कंपनियां अपनी मार्जिन बढ़ाकर पूरा रही हैं। इक्साइज ड्यूटी में प्रति लीटर 13 रूपये तक की वृद्धि केन्द्र सरकार ने कर दी है। जिसका पूरा बोझ जनता पर नहीं डाला गया है। भविष्य में यदि केन्द्र सरकार और राज्य सरकार रेवेन्यू के लिए टैक्सेज में बढ़ोत्तरी करती हैं तो तेल के दामों में और भी उछाल दिख सकता है।
पेट्रोल और डीजल के दाम क्यों हुए लगभग बराबर –
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में अन्तर की बात करें तो डीजल इसलिए सस्ता था क्योंकि डीजल का ज्यादातर उपयोग कृषि कार्यों और ट्रांसपोर्ट में होता है। इसीलिए सरकार डीजल पर सब्सिडी और कम टैक्स के द्वारा इसकी कीमत कम रखती है। लेकिन डीजल और पेट्रोल की लागत लगभग बराबर ही होती है। तमाम देशों में दोनों की कीमतें समान हैं। और अब भारत सरकार भी पेट्रोल और डीजल की कीमतें बराबर करना चाहती है। हमारे देश में तेल के दामों में अन्तर वैट (बैल्यू ऐडेड टैक्स) के कारण प्रदेशों में अलग-2 होती है।
भारत में तेल की कीमतें बढ़ाना दोधारी तलवार की तरह है। यदि सरकार दाम बढ़ाती है तो मंहगाई भी बढ़ना तय है। ऐसे में यदि सरकार कुछ विशेष कदम नहीं उठाती तो मंहगाई से स्थितियां बदतर होती जायेंगी।
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