BY- VIRENDRA KUMAR
बसपा के महारैलियों में आ रही भीड़ दिखा रही है कि बदलाव कहां से आ रहा है और सीधी टक्कर किसके बीच है? जबकि कुछ दल के नेता रोड शो के नाम पर रोड जाम कर देंगे और फिर चार पांच सौ लोग खड़े हो जाएंगे तो उसको सोचते हैं कि कि बहुत भारी जनसमर्थन मिल रहा है।
सबको पता है जब एक बस से और पीछे 50 गाड़ी खड़ी होगी तो अपने आप जाम लग जाएगा तो अपने आप चार पांच सौ लोग इकट्ठा हो जाएंगे और उसको कैमरे से दिखा देंगे कि भारी जनसमर्थन। यह सिर्फ ऑप्टिक्स कैमरे द्वारा ऑप्टिक्स को मैनेज किया जा रहा है सुर्खियां बनाने के लिए।
जब भी कोई रैली आयोजित होती है उसमें पार्टी के कार्यकर्ता प्रत्याशियों द्वारा लाए जाते हैं और कुछ खुद अपने आप आते हैं पार्टी की नीतियों को, नेता को सुनने और जानने के लिए, तो यह फर्क होता है सड़क को घेर करके चार पांच सौ लोगों की भीड़ को फोटो में दिखा देंगे की हजारों की भीड़ है, जबकि सच्चाई अलग होती है।
यह औरैया जिले की बसपा की चुनावी रैली जहां पर कल बसपा प्रमुख ने पुरानी पेंशन व्यवस्था को फिर से बहाल करने की घोषणा की सरकार आने पर। सिर्फ बसपा ही रैली का आयोजन कर रही है बाकी सारे दल रोड शो पर ही निर्भर है जो दिखा देता है कि उनके पास कितना जन समर्थन बाकी है।
भाजपा ने भी एक भी रैली नहीं कि जो भी रैलियां हुई मोदी जी की वो सब सरकारी रैली थी उसको उत्तर प्रदेश सरकार ने किया था कुछ योजनाओं के घोषणा, शिलान्यास के नाम पर। लड़ाई साफ है जनता को यह देखना चाहिए। फर्क साफ है, बसपा फिर से सत्ता में आ रही है।
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