बिहार की स्थिति देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा लगभग सभी मामलों में खराब ही है। सुशासन बाबू की सरकार में भी यहां भ्रस्टाचार जमकर हो रहा है। लोग एक तरफ बाढ़ से परेशान हैं तो दूसरी तरफ सरकारी अमले से।
और यदि कोई सरकार से सवाल कर के तो उल्टा उसी को जेल हो जाती है। कुछ दिन पहले की घटना है जब एक बालात्कार पीड़िता को ही जेल भेज दिया गया था।
अब जो मामला सामने आया है उसमें एक आरटीआई कार्यकर्ता के नाबालिक बेटे को बालिग बता कर जेल भेज दिया गया। मामला फरवरी महीने का है और उसका लड़का पांच महीने से जेल में ही बंद है।
आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि उनका 14 साल का बेटा 29 फरवरी को दसवीं कक्षा की अपनी एक परीक्षा के बाद गांव के ही एक दो लोगों के साथ बाइक से जा रहा था कि बक्सर के राजपुर इलाके में पुलिस ने उनकी बाइक रोक ली।
पुलिस का कहना है उसके बेटे के पास से एक देशी पिस्तौल और बाकी दो लोगों के पास से जिंदा कारतूस मिले थे। जिसके बाद तीनों को गिरफ्तार कर बक्सर जेल भेज दिया।
आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि बाकी दो लोगों को जमानत पर छोड़ दिया गया लेकिन उनका बेटा अभी भी जेल में है। उसके बेटे ने 5 विषयों में 83 फीसदी अंक हासिल किए थे लेकिन एक और विषय की परीक्षा देनी थी।
जिस बच्चे को अभी भी जेल में रखा गया है उसके स्कूल रिकॉर्ड के मुताबिक उसका जन्म 2006 में हुआ है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक आरटीआई कार्यकर्ता और अन्य पर आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।
अब यदि वह बच्चा अभी नाबालिग है तो फिर बिहार पुलिस किस नियम के तहत कार्यवाही कर रही है यह भी पता लगाया जाना चाहिए। इस पूरे घटनाक्रम के पीछे कौन है उसकी भी पड़ताल होनी चाहिए।
एक आरटीआई कार्यकर्ता अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर जानकारी पूछता है। कई आरटीआई कार्यकर्ता अपनी जान भी गंवा चुके हैं। इस मामले पर सुशाशन बाबू को आगे आकर जांच करवानी चाहिए।