अगर आपसे कोई पूछे कि आजकल लोग ईमानदारी बचे भी हैं। जवाब आपका यही होगा कि बहुत कम शायद इक्का दुक्का। हर कोई मालामाल होना चाहता है। हर कोई खूब सारा पैसा कमाना चाहता है। बहुत कम लोग हैं जो ईमानदारी के साथ पैसे कमाना चाहते हैं।
अगर सब ईमानदारी ही होते तो लाखों करोड़ों का कालाधन विदेशों में न जमा होता। विदेशी बैंक में पैसा देकर लोग खूब सारा पैसा न इकट्ठा किए होते। खैर इन सब के बीच कभी-कभी ऐसी खबरें आ जाती हैं जो राहत देती हैं कि चलो कुछ तो लोग अभी दुनिया में ऐसे जिंदा हैं जिनका जमीर ईमानदार है।
हम आज बात कर रहे हैं बिहार के एक ऐसे प्रोफेसर की जिनके व्यक्तित्व को जानकर आप भी कायल हो जाएंगे। बिहार के मुजफ्फरपुर के नीतीश्वर महाविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. ललन कुमार ने अपनी पूरी सैलरी के पैसे वापस कर दिए।
दरअसल मामला ये था कि इस महाविद्यालय में जिस विभाग में प्रोफेसर कार्यरत हैं उसमें बच्चे आते ही नहीं हैं। प्रोफेसर साहब 2019 से यहां कार्यरत हैं लेकिन एक भी क्लास उनकी नहीं लगी।
प्रोफेसर ललन कुमार इस बात से काफी दुःखी हैं कि हिंदी विभाग में 131 विद्यार्थी होने के बाबजूद उनकी एक भी क्लास अभी तक नहीं लग पाई। वह पढ़ाना चाहते हैं लेकिन अफसोस बच्चे ही नहीं आते।
इसी बात से दुःखी होकर प्रो. ललन कुमार ने एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने लिखा है कि वे 25 सितंबर, 2019 से नीतीश्वर महाविद्यालय में कार्यरत हैं। पढ़ाने की इच्छा रखते हैं, लेकिन स्नातक हिंदी विभाग में 131 विद्यार्थी होने के बावजूद एक भी नहीं आते।
इन स्थितियों में वेतन की राशि स्वीकार करना मेरे लिए अनैतिक है। अंतरात्मा की आवाज को मानते हुए अपनी नियुक्ति की तिथि (25 सितंबर, 2019) से (मई 2022) की प्राप्त संपूर्ण वेतन की राशि 23 लाख 82 हजार 228 रुपये विश्वविद्यालय को समर्पित करना चाहता हूं।
इस संबंध में बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति हनुमान पांडेय ने कहा है कि अभी उन्हें किसी प्रकार का पत्र नहीं मिला है। लेनदेन की बात को भी उन्होंने नकारा है।