BY – FIRE TIMES TEAM
इस समय पूरा देश करोना की चपेट में है। बिहार में भी संक्रमितों की संख्या 80 हो गई है। इसी बीच चमकी बुखार एक बार फिर अपना खौफ दिखा रहा है। उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में चमकी बुखार के 9 मरीज आ चुके हैं। जिसमें से एक की मौत हो चुकी है और 3 ठीक हो चुके हैं।
पिछले साल चमकी बुखार यानी एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईस) से उत्तर बिहार में लगभग 200 बच्चों की जान चली गई थी।
क्या है चमकी बुखार ?
इसे दिमागी बुखार या जापानी इंसेफेलाइटिस भी कहते हैं। AES मच्छरों द्वारा प्रेषित इंसेफेलाइटिस की एक गंभीर स्थिति है, इसकी मुख्य विशेषता तीव्र बुखार और मस्तिष्क में सूजन आना है।
यह बीमारी खासतौर पर बच्चों और युवा वयस्कों को प्रभावित करती है जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है।
लक्षण :
भ्रम, भटकाव, कोमा या बात करने में असमर्थता, तीव्र बुखार, उल्टी और बेहोशी आदि इसके लक्षणों में शामिल हैं।
कारक :
कुलेक्स मच्छर इस बीमारी का वाहक होता है। सूअर तथा जंगली पक्षी मस्तिष्क ज्वर के विषाणु के स्रोत होते हैं। डेंगू, खसरा, एस निमोनिया, निपाह वायरस, जीका वायरस, मम्प्स , स्क्रब टायफस, हरपीस सिम्प्लेक्स वायरस, इन्फ्लूएंजा ए वायरस, वेस्ट नाइल वायरस भी एईएस के लिए प्रेरक का काम करते हैं।
अभी तक चमकी बुखार के लिए भी वैक्सीन विकसित नहीं की जा सकी है।