BY – FIRE TIMES TEAM
पीएम मोदी ने 29 नवंबर को मन की बात कार्यक्रम में कहा था कि भारत में खेती और उससे जुड़ी चीजों के साथ नए आयाम जुड़े रहे हैं। बीते दिनों हुए कृषि सुधारों ने किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं।
लेकिन किसानों को लगता है कि जो मूल्य इस समय मिल रहा है वह इस कानून के बाद नहीं मिल पायेगा। केन्द्र की मोदी सरकार किसानों को भरोसा दिलाने में अभी तक नाकामयाब रही है।
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और अब केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 16 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच भारतीय किसान यूनियन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
भारतीय किसान यूनियन ने अपनी याचिका में कहा है कि इन कानूनों के जरिए देश का किसान कॉरपोरेट के लालच की भेंट चढ़ जाएगा।
वहीं, इससे पहले भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार और किसान दोनों को पीछे हटना होगा। टिकैत ने कहा कि सरकार कानून वापस ले और किसान अपने घर चला जाएगा।
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आपको बता दें कि बीते 26 नवंबर से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान बड़ी संख्या में दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार के नए कानून पूरी तरह से किसान विरोधी हैं और इन्हें तुरंत रद्द किया जाना चाहिए।
वहीं सरकार लगातार इस बात को कह रही है कि वो इन कानूनों में संशोधन के लिए तैयार है, लेकिन रद्द नहीं करेगी। बुधवार को सरकार ने कानूनों में संशोधन संबंधी लिखित प्रस्ताव भी किसान संगठनों के पास भेजा था, जिसे किसानों ने ठुकरा दिया। सरकार और किसान संगठनों के बीच अभी तक पांच दौर की बातचीत हो चुकी है।
वहीं, शुक्रवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक बार फिर किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘आंदोलन से आम लोगों को भी परेशानी होती है। दिल्ली के लोग परेशानियों का सामना कर रहे हैं।
इसलिए किसानों को आम लोगों के हित में अपना आंदोलन समाप्त करना चाहिए और बातचीत के माध्यम से मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए। प्रधानमंत्री खुद इस बात को कह रहे हैं कि एमएसपी जारी रहेगी और किसी को इस बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है।’