7000 किलोमीटर दूर से रफाल लड़ाकू विमान के आने से भारत की वायु सेना की युद्धक क्षमता में अतुलनीय बढ़ोतरी हुई है। 90 के दशक के बाद यह पहला मौका है जब कोई आयातित लड़ाकू विमान भारतीय वायु सेना में शामिल हुआ है। इसको लेकर जो सवाल उठाए जा रहे हैं वह अपनी जगह लेकिन इस बीच जनता के मूल भूत मुद्दों को भूल जाना कहाँ तक उचित है?
जब रफाल विमान भारत आ रहे थे तब देश के कई हिस्सों में लोग अपनी जिंदगी बचाने के लिए जूझ रहे थे। कुछ कोरोना से तो कुछ बाढ़ से। कोरोना ने यह दिखा दिया है कि देश में अभी भी स्वास्थ्य सुविधाओं की बहुत कमी है।
आम जनता की बात छोड़िए हालत यह है कि सत्ता के विधायक-सांसद तक बेड के लिए चक्कर लगा रहे हैं। जहां एक ओर 5 रुपये की पर्ची न बनवा पाने की स्थिति में लोगों की मौत हो जा रही है वहीं ऑक्सीजन न मिलने के कारण लोग दम तोड़ रहे हैं।
कोरोना के लिए सत्ता में बैठे लोग एक बार खेद दर्ज करा सकते हैं आपातकालीन स्थिति की बात कह कर पल्ला झाड़ सकते हैं। लेकिन बिहार-असम की बाढ़ के लिए तो बहाना भी ढूंढना मुश्किल हो जाएगा।
बिहार-असम में बाढ़ अब हर साल की समस्या बन गई है। सत्ता में बैठे लोग साल भर सोते रहते हैं। जब बाढ़ आती है तो वह अचानक जागते हैं। कुछ मुख्यमंत्री तो अभी भी सो रहे हैं और शायद वह चुनाव की तैयारी कर रहे हों। आप बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी जिक्र कर सकते हैं। वैसे तो वह सुशासन बाबू के नाम से जाने जाते हैं लेकिन न तो वह कोरोना से लड़ पा रहे हैं और न बाढ़ से।
बिहार में अब तक 11 लोगों की मौत बाढ़ के कारण हो गई है वहीं करीब 40 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। बिहार के 12 जिले के एक हज़ार गांव बाढ़ की विभीषिका को झेल रहे हैं। यहाँ के लोग अपनी जिंदगी बचाने के लिए पेड़ को ही घर बना लिया है।
गंडक, बागमती, महानंदा व कोसी जैसी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। इन नदियों के बहाव क्षेत्र काफी बड़े हो गए हैं। इसके दो मतलब हो सकते हैं-
1.नेपाल से आने वाली नदियों में ज्यादा पानी होना
2. सरकार द्वारा नदियों में जमी गाद को न निकालना।
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आप तीसरे कारण की बात कह सकते हैं जिसमें नदियों के बहाव क्षेत्र में आने वाली रुकावट के लिए बना दिये गए घर हो सकते हैं। जैसे श्रीनगर में बाढ़ के पीछे यही वजह थी। लेकिन यह तब हो सकता है जब उपरोक्त दोनों कारण सही न हों।
दूसरी ओर असम की बाढ़ के लिए भी लगभग यही कारण जिम्मेदार हैं लेकिन कुछ भौगोलिक स्थिति के कारण हम बिहार व असम की बाढ़ को एक जैसा नहीं मान सकते।
असम में भी अब तक 16 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हो चुके हैं। बाढ़ व भूस्खलन के कारण अब तक यहां 133 लोगों ने अपनी जिंदगी गवां दी है।
आब आप समझिए जब लाखों लोग अपनी जिंदगी को बचाने के लिए जूझ रहे थे तब सत्ता में बैठे लोग रफाल आने की खुशी में इतने मशगूल थे कि उनको कुछ नजर नहीं आ रहा था।
मुख्यधारा की मीडिया इन 5 रफाल से पाकिस्तान व चीन को डरा रहे थे। पूरा दिन गोदी मीडिया ने बस रफाल की रिपोर्टिंग की। न तो गोदी मीडिया को वह अस्पताल दिख रहे थे जहां लोग सिर्फ सुविधाओं के अभाव में अपनी जान गवां रहे थे। न ही गोदी मीडिया को बाढ़ में मर रहे लोग।
अब आप तय करिए देश की जनता की मूलभूत सुविधाएं प्रमुखता में रहनी चाहिए यह फिर उन मुद्दों पर बात करना जिनका आम आदमी के लिए सेकंडरी महत्व है।
राष्ट्र सुरक्षा अवश्य महत्वपूर्ण है लेकिन अपनी ही प्रजा की लाश पर पैर रखकर बिल्कुल नहीं!