कृषि बिल हमें चमकता-दमकता वो कागज़ का फूल बना देगा जो बूँद पड़ने से भी गल जाए

BY-  पुनीत सम्यक

किसान बिल क़ोई भी पार्टी लेकर आए उससे मेरा विरोध है । इस बिल को वर्ल्ड बैंक के प्रतिनिधि मनमोहन सिंह ही ले आए होते अगर उनके फेवर में माहौल मिल गया होता।

सरकार वोडाफोन के बाद क्रेन एनर्जी के साथ भी मुकदमा हार गई है। इसका नुक़सान जनता को ही भुगतना है। भारत सरकार का नुक़सान ही हमारा नुक़सान है।

कम से कम जहाँ सरकार और उद्योगपति क़ोई हावी नहीं है , वहाँ की ज़िन्दगी भले ही आपके नज़र में चमकती – दमकती ज़िन्दगी नहीं हो लेकिन इतना विषाद नहीं है कि कर्ज न चुकाने की वज़ह से क़ोई लटक जाए। आत्महत्याएं वहीं हुई जहाँ किसान या इंसान बाज़ार के जाल में फंसा।

एक जगह फूड कम्पनी ने किसानो से आलू लगवाया। बाद में ख़राब क्वालिटी कहकर खरीदने से मना कर दिया। किसानों ने जमीन पर लड़ाई लड़ी। इस स्टोरी को स्पांसर तो मिलेगा नहीं इसलिए स्टोरी कहीं मिडिया में चली नहीं।

उन देशों से घूम के आइए जहाँ काॅरपोरेट ने खेती की जिम्मेदारी संभाल ली है। सुन्दर, महँगा, बेस्वाद, एलर्जी विकसित करने वाले जीएम फसल और भोजन। एलर्जी फ्री भोजन से लेकर स्वास्थ्य बीमा तक का फलता- फूलता उद्योग। तब समझ में आएगा कि हम ग़रीबी में भी उनसे बेहतर भोजन कर रहे हैं। कोरोना जैसा महामारी भी उनसे आसानी से झेल गए हम लोग।

ये कृषि बिल हमें चमकता-दमकता वो कागज़ का फूल बना देगा जो बूँद पड़ने से भी गल जाए।

किसानों की समस्या हल होनी चाहिए लेकिन ये बिल सही नहीं है।

अभी बहुत फ़ायदा होगा लेकिन दस साल में ही इसके दुष्प्रभाव दिखने शुरू हो जाएंगें जब कार लेकर फ्री फूड पैकेट के लाईन में खड़ा होना पड़ेगा।

इन सब के एग्रीमेंट पेपर ऐसे होते हैं क़ोई हरीश साल्वे जैसा धुरंधर समझ सके तो समझ सके बाक़ी अच्छे शिक्षित लोगों को भी एक्सेप्ट लिख कर हस्ताक्षर कर देने से ज़्यादा कुछ़ नहीं बुझाता। कानूनी लड़ाई में कभी क़ोई इनसे जीत नहीं सकता क्योंकि आपसे कमाए पैसे से ही हमेशा बेहतर से बेहतर लिगल टीम तैयार रखते हैं।

बाक़ी अपनी हवेली किराए पर देकर ऐश किजिए। जिस दिन किराएदार पूरा का पूरा हड़प के अपने नाम लिखवा लेगा तब चंदा करके कानूनी लड़ाई लड़िएगा और हारिएगा। तब भी शायद वही लोग सड़क पर उतर कर लड़ पाएंगे जो आज लड़ रहे हैं।

यह भी पढ़ें- किसानों ने केंद्र के नवीनतम वार्ता प्रस्ताव को कहा प्रचार प्रसार, कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग जारी

About Admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *