दुनियाभर में चुनाव और फेसबुक के संबंधों को लेकर अब काफी चर्चा हो रही है। चुनाव में फेसबुक की तटस्थता को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं।
अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने दावा किया है कि फेसबुक की दक्षिण और मध्य एशिया प्रभार की पॉलिसी निदेशक आँखी दास ने चुनाव में भाजपा का सहयोग किया है।
अखबार ने दस के मैसेज का भी हवाला दिया है जिसमें उन्होंने मोदी के सत्ता में आने से पहले और कांग्रेस की हार के बाद का जिक्र किया है।
दास ने 2014 लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के एक दिन पहले लिखा, ‘हमने उनके सोशल मीडिया अभियान में कमाल कर दिया है और बाकी सब तो इतिहास है।’
कांग्रेस की हार के बाद दास ने लिखा, ‘स्टेट सोशलिज्म से भारत को मुक्त होने में तीस सालों की जमीनी मेहनत लगी।’ यह मैसेज उन्होंने मोदी की तारीफ करते हुए लिखा था। यहां पर स्टेट सोशलिज्म का अर्थ उस व्यवस्था से है जहाँ के उधोग और सेवाएं ज्यादातर सरकार के अधीन होते हैं।
अखबार ने दास द्वारा 2012 में भाजपा को दी गई ट्रेनिंग का भी जिक्र किया है। तब दास ने लिखा था, ‘हमारा गुजरात अभियान सफल हुआ।’
2012 के बाद से ही मोदी का चेहरा राष्ट्रीय स्तर पर उजागर हुआ था। यही नहीं इसके बाद भी फेसबुक ने एक बार फिर से प्रशिक्षण और सहायता की पेशकश की थी।
2013 में दास की फेसबुक सहयोगी ने भी लिखा कि वह मोदी को भारत का जॉर्ज डब्लू बुश के रूप में परिभाषित करती थीं। 2014 चुनाव से पहले फेसबुक महीनों से भाजपा के साथ लॉबी कर रहा था।
अगस्त में दास ने तेलंगाना के भाजपा नेता के भड़काऊ भाषण पर फेसबुक हेट स्पीच के नियमों को लागू करने के विरोध में अपना मत दिया था। उनको डर था कि इससे फेसबुक के संबंध भाजपा से खराब हो सकते हैं।
यही नहीं दास हिंदूवादी लोगों के भड़काऊ भाषण के खिलाफ फेसबुक हेट स्पीच नियम न लगाने के पक्ष में थीं। जब इन लोगों पर यह नियम लगाए गए तो दास ने विरोध भी किया था।
उधर दिल्ली दंगों को लेकर भी विधानसभा की शान्ति और सद्भाव समिति ने दास और अन्य फेसबुक अधिकारियों को समन भेजा है। यह समन इसलिए भेजा गया है ताकि पता लगाया जा सके कि दिल्ली दंगों में कहीं सोशल मीडिया के किसी अधिकारी का हाँथ तो नहीं।
यह भी पढ़ें: क्या भारत में फेसबुक बीजेपी और आरएसएस के नियंत्रण में है ?