विश्लेषण: थरूर या खडसे? राहुल गांधी का लोकतंत्र तय करेगा

BY- BIPUL KUMAR

कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कौन? यह सवाल आने वाले भारत की राजनीति तय करेगी। इससे इतर एक व्यक्ति जो यह तय करेगा कि कांग्रेस का अध्यक्ष कौन होगा।

यानी राहुल गांधी की जो सबसे ख़ास बात मुझे नज़र आती है वो यह है कि वो आम बनना चाहते हैं, आम दिखना चाहते हैं, आम रहना चाहते हैं, ख़ास नहीं। फिर से कहता हूँ कि आने वाले 100 वर्षों बाद भी इस बात की चर्चा ज़रूर होगी कि जब भारत पर कायरों का राज था एक व्यक्ति ऐसा था जो कह रहा था, सवालों पर सवाल पूछ रहा था, नाक में दम करके रखा था।

स्वर्गीय अजीत जोगी को पार्टी से निकाल दिया गया था उन्होंने अलग पार्टी खड़ा कर ली। उनकी पत्नी रेणु जोगी से हमने विधानसभा चुनाव के पहले पूछा क्या करेंगी अब? टिकट न मिला तो? उन्होंने कहा एक खिड़की हमेशा खुली रहती है मुझे लगता है राहुल जी से कहेंगे तो बात बन जाएगी। ज्योतिरादित्य ने पार्टी छोड़ी राहुल ने कहा ‘उनका मन वहाँ नही लगेगा वो घबरा गए शायद’।

यह बात कम लोग जानते होंगे कि 2018 में तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद मुख्य्मंत्री पद के बँटवारे का फ़ैसला राहुल गांधी के मौजूदगी में ज़रूर हुआ था लेकिन तीनो राज्यों के दावेदारों ने राहुल गांधी के निवास पर राहुल की अनुपस्थिति में बैठकर श्रेष्ठ का चुनाव किया था कि हममें से कौन मुख्य्मंत्री बनेगा? ऐसा हरगिज़ नही था कि राहुल गांधी ने कोई फ़ैसला लिया और ज़बरन लाद दिया।

गहलोत -पायलट, भूपेश- टीएस, कमलनाथ -ज्योतिरादित्य ने खुद तय किया था कि सीएम कौन बनेगा। कांग्रेस पार्टी के भीतर आज जो लोकतंत्र की फ़सल लहलहा रही है उसकी बड़ी वजह राहुल गांधी हैं।

आपके लिए यह भविष्य के प्रधानमंत्री होंगे या फिर एक ऐसा नेता जो अपनी पार्टी को पुनर्स्थापित करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं या फिर पंडित नेहरू और इंदिरा जी के परिवार का एक नाम।

हाल में हो रही अध्यक्ष की राजनीति में दलित कार्ड ही चलेगा अब, भाजपा की मुर्मू को टक्कर देना जरूरी है। खडसे से बेहतरीन अध्यक्ष कौन होगा या भारत जोड़ो से आये नए नेता देश की कमान संभालेंगे इसके बाद।

वैसे जिन लोगों से घर की बीबी और एक आवारा बच्चा नहीं संभल रहा वे कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर चिंतित है काश कभी भाजपा की तानाशाही, संघ के ब्राह्मणवादी और महिला विरोधी सर संघ चालक या बसपा की सुप्रीमो जो पता नही कहाँ गड़ गई शर्म लाज में या तृणमूल या सपा के या जद के अध्यक्ष को लेकर भी सोचते।

बहरहाल जीतना तो थरूर को चाहिये पढ़ा लिखा है , ई एम एस नम्बूदरीपाद के सानिध्य में ट्रेंड हुआ है और दुनिया जहान की बात समझता बूझता भी है पर जमाना अजीब है और बल्ले बल्ले दिल तभी उछलेगा जनता का जब खडसे खड़केगा।

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