भारत में लगातार साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का काम किया जा रहा है। इसमें बड़े-बड़े नेता भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। लेकिन भारत की गंगा-जमुनी तहजीब को वह तोड़ नहीं पा रहे हैं।
दिल्ली से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसको पढ़कर आप भी रो देंगे। शहीद भगत सिंह सेवा दल से जुड़े एम्बुलेंस ड्राइवर आरिफ खान मार्च महीने से लगातर कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचा रहे थे।
काम खत्म कर वह घर तक नहीं जाते थे। एम्बुलेंस पार्किंग लॉट में जाकर सो जाते थे। ऐसा करीब 6 महीने से लगातार कर रहे थे। देश के लोगों की सेवा में उन्होंने अपना घर भी त्याग दिया।
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार आरिफ की दिल्ली के हिंदूराव अस्पताल में मौत हो गई। 48 वर्षीय आरिफ की मौत के बाद लोगों ने जमकर प्रतिक्रिया दी।
आरिफ के कुछ सहयोगियों ने बताया कि यदि किसी कोरोना मरीज की मौत हो जाती थी तो वह उनके परिवार को आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराते थे।
आरिफ के सहयोग जितेंद्र ने बताया कि ‘वह सुनिश्चित करते थे कि हर किसी को अंतिम विदाई दी जाए लेकिन उनका खुद का परिवार उन्हें आखरी बार नहीं देख सका। उनके परिवार ने कुछ ही मिनटों के लिए दूर से उनके शव को देखा।’
आरिफ के छोटे भाई आदिल ने बताया कि ‘मार्च के बाद से ही वह कभी-कभी उन्हें देख पाते थे, वह भी जब वह अपने कपडे या अन्य सामान लेने घर आते थे। हमें हमेशा उनकी चिंता होती थी लेकिन वह कभी कोरोना से घबराए नहीं। वह सिर्फ अपना काम करना चाहते थे।’
आरिफ के सहयोगियों ने बताया कि वह अपने काम के प्रति काफी समर्पित थे। उन्होंने कभी भी दाह संस्कार के समय कोई भेदभाव नहीं किया। वह 12 से 14 घंटे काम करते थे। और यदि आप रात में 3 बजे भी फोन करें तो आपको जवाब देते थे।
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