BY – FIRE TIMES TEAM
समाजवादी पार्टी की तरफ से भगवान परशुराम की 108 फीट ऊंची प्रतिमा लखनऊ में लगवाने की घोषणा करने के बाद बसपा नेत्री और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने इससे भी बड़ी मूर्ति बनवाने की घोषणा कर दी।
हालांकि मायावती ने परशुराम की मूर्ति सत्ता में आने पर लगवाने की बात कही थी। लेकिन उनकी खुद की प्रतिमायें लगाने का काम लखनऊ के लाल बहादुर शास्त्री मार्ग पर बसपा सरकार में बने प्रेरणा स्थल पर चल रहा है।
2012 में बसपा सरकार जाने के बाद आने वाले हर चुनाव में मायावती का मूर्ति प्रेम सवालों के घेरे में रहा है। लखनऊ और नोएडा में करोड़ों की लागत से तमाम मूर्तियों को लगवाया गया जिसमें जिन्दा रहते हुए मायावती की मूर्ति पर काफी विवाद होता रहा है।
मूर्तियों को लगाने के लिए आधार का ढ़ाचा कई दिनों से तैयार किया जा रहा था। लेकिन किसी ने इस पर इसलिए गौर नहीं किया क्योंकि इस तरह के रेनोवेशन के काम लखनऊ में कई जगहों पर सालों से चल रहे हैं।
जब बुधवार शाम को संगमरमर से बनी मायावती की तीन प्रतिमाओं को लगा दिया गया तो यह चर्चा का विषय बन गया। प्रतिमा में मायावती को बैग लेकर खड़े दिखाया गया है।
जबकि बसपा नेताओं का कहना है कि यहां सिर्फ रेनोवेशन का काम चल रहा है। बारिश और धूप के कारण संगमरमर को नुकसान होने के कारण इन मूर्तियों को शिफ्ट किया जा रहा है।
प्रेरणा स्थल के ढ़ांचे का स्वरूप गोमतीनगर स्थित ठीक डा. भीमराव अंबेडकर स्थल की तरह ही है। तेज बारिश के कारण ढांचे के किनारे केवल मायावती की तीन प्रतिमा ही लग पाईं। जबकि ढ़ाचे के ठीक बीच में एक बड़ी प्रतिमा लगनी है, लेकिन अभी स्पष्ट नहीं है कि यह प्रतिमा किसकी होगी।
बहुजन समाज पार्टी की केन्द्रीय यूनिट की तरफ से बहुजन समाज प्रेरणा स्थल की स्थापना 2005 में की गयी थी। अंबेडकर स्मारक की भीतरी सड़क पर दलित समाज के तमाम महापुरूषों की प्रतिमायें लगी हैं। उनमें सबसे पहले मायावती की संगमरमर की प्रतिमा है।
डा. अम्बेडकर स्मारक के मुख्य चौराहे पर कांशीराम के साथ ही मायावती की कास्य प्रतिमा लगी हुई है। इसके अलांवा मोहान रोड पर डा. शकुन्तला विश्वविद्यालय के परिसर में भी मायावती की प्रतिमा स्थापित की गई है।
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