रडार और नाली गैस में अपार सफलता के बाद क्या मोदी बन पाएंगे भारत के मेंडलीव?

BY- पुनीत सम्यक

चलो मान लेते हैं नए संसद भवन में लाख अच्छाईयां हैं। जैसे यह कई धर्मों के पावन चिन्हों की झलक पेश करेगा। इसमें राष्ट्रीय प्रतीक कमल, मोर और बरगद पर आधारित थीम होगी। यह आत्मनिर्भर है। इसमें 888 लोकसभा सदस्य और 384 राज्यसभा सदस्यों के बैठने की क्षमता है। ब्ला ब्ला।।।।।।

पर हम तो ठहरे विज्ञान के छात्र। हमने दसवीं क्लास में ही 118 तत्वों का वर्गीकरण उनके गुण और धर्म के आधार पर सीख लिया था। सबसे बढ़िया वर्गीकरण मेंडलीव का माना जाता है। क्योंकि उन्होंने उन तत्वों के लिए भी सम्मान के साथ जगह छोड़ दी थी जो तब खोजे नहीं गए थे।

न्यूलेंड का ऑक्टेव रूल इस वजह से फेल हो गया कि उसमें निष्क्रिय गैस जैसे हीलियम, नियॉन और आर्गन के लिए कोई जगह नहीं थी।
तो क्या इस नए संसद भवन में अलग-अलग तत्वों को उनके गुणधर्म के आधार पर वर्गीकृत करने की सुविधा है ?

क्या उसमें बलात्कार के आरोपी सांसद एक पंक्ति में बैठेंगे ? क्या उसमें मील और फैक्ट्रियों के मालिक सांसद एक कॉलम में जगह पाएंगे ? क्या उसमें दंगे करवाने के आरोपी को अलग से बैठाया जाएगा ?

क्या उसमें सेलिब्रिटी से सीधे सांसद में परिवर्तित हुए तत्वों के लिए अलग से व्यवस्था होगी? क्या उसमें निष्क्रिय तत्वों को सबसे अलग थलग रखने की सुविधा होगी ?

क्या इस महंगे भवन में कल को कोई विशेष गुणों वाला तत्व जैसे दफा 302 का आरोपी, शाहीन बाग़ में भीड़ पर गोली चलाने वाला देशभक्त या ट्विटर पर विशेष तरह की जहरीली और असहनीय गंध फैलाने वाला आजाय तो उसके लिए क्या पहले से कोई कॉलम छोड़ा जाएगा?

क्या उसमें रंग रूप गंध जैसे भौतिक गुणों के आधार पर कोई वर्गीकरण होगा? क्या उसमें दूसरे तत्वों से मिलकर नए उत्पाद बनाने वालों के लिए कोई ध्यान दिया जाएगा?

कभी कांग्रेस के विधायक सांसद रहे आज भाजपा में घुलनशील हैं। इस तरह घुलनशील हैं कि नंगी आखों से देखना मुश्किल है। मजेदार बात यह कि किसी भी अनुपात में घुल जाते हैं। इन घुलनशील सांसदों को अलग रखने की क्या व्यवस्था की गयी है?

सीपीआई के सांसद जो भाजपा में घुल नहीं पाते हैं और जनता में भी आंशिक रूप में घुलनशील हैं। आन्दोलनों का तापमान तेज हो तो इनकी घुलने की क्षमता बढ़ जाती है। इनके लिए क्या ध्यान रखा गया है?

सपा के सांसद जो अपने नेता के नियंत्रण से बाहर रहते हैं। कभी भी किसी के साथ जाकर रासायनिक बन्ध बना लेते हैं उनके लिए क्या प्रावधान है?

खैर, जब जनता का हजारों करोड़ खर्च हो ही रहा है तो हमारे इन सवालों का जवाब दीजिए। और हाँ अगर इन पर अमल किया गया तो मैं अपनी इस खोज का पूरा श्रेय नाली गैस के आविष्कारक, रडार विशेषज्ञ भाजपा के आइंस्टीन और भविष्य के मेंडलीव को देने को तैयार हूँ।

बुरा न मानियेगा। भविष्य के मेंडलीव इसलिए कहा है क्योंकि इस लेख में दिए गए वर्गीकरण को लागू करने पर ही उन्हें मेंडलीव के सम्मान से नवाजा जा सकता है।

(उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं)

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